कारगिल विजय दिवस : एेसे भारतीय जवानों ने टाइगर हिल पर किया कब्जा
कारगिल युद्ध में टाइगर हिल पर भारतीय सेना का दोबारा कब्जा करना महत्वपूर्ण पड़ाव था। इस अभियान का नेृतत्व करने वाले ब्रिगेडियर एमपीएस बाजवा ने इस जग की राेमांचक कहानी सुनाई।
पंचकूला, [राजेश मलकानियां]। कारगिल विजय दिवस पर भारत के जाबांज जवानों ने पाकिस्तानी सेना और आतंकियों के दांत खट्टे कर दिए थे। कारगिल युद्ध में टाइगर हिल पर कब्जा सबसे महत्वपूर्ण फतेह थी। भारतीय जवानों ने अपनी अदम्य वीरता से टाइगर हिल पर दाेबारा कब्जा कर लिया ताे पाकिस्तान हिल गया। टाइगर हिल पर कब्जे के लिए युद्ध की कमान ब्रिगेडियर एमपीएस बाजवा के हाथों में थी। उन्होंने टाइगर हिल पर दोबारा कब्जे के आॅपरेशन की पूरी कहानी सुनाई। इन पलों को याद करते हुए 69 वर्षीय ब्रिगेडियर बाजवा जोश से भर गए।
ब्रिगेडियर एमपीएस बाजवा के नेतृत्व में हुआ था टाइगर हिल पर कब्जा
ब्रिगेडियर एमपीएस बाजवा।
युद्ध सेवा मेडल प्राप्त ब्रिगेडियर बाजवा ने 26 जून 1999 को इसकी कमान संभाली और 4 जुलाई 1999 को सुबह साढ़े चार बजे टाइगर हिल पर भारतीय फौज ने पहली फतेह हासिल कर ली। उनके शब्दों में, तब टाइगर हिल पूरी तरह भारत के कब्जे में नहीं था, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एलान कर दिया कि भारतीय सेना का टाइगर हिल पर कब्जा हो गया है। वाजपेयी की घोषणा के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ हिल गए थे।
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जागरण से बातचीत में ब्रिगेडियर एमपीएस बाजवा ने बताया कि टाइगर हिल कश्मीर में कारगिल की सबसे ऊंची चोटी है और पाकिस्तान के सैनिकों व घुसपैठियों ने इस पर कब्जा कर लिया था। पाकिस्तानी कब्जे से टाइगर हिल को छुड़ाने की जिम्मेदारी ग्रेनेडियर के जवानों को दी गई थी। इसकी कमान उनको सौंपी गई। ग्रेनेडियर्स की मदद के लिए नगा और सिख बटालियन को तैनात किया गया था।
कारगिल युद्ध के दौरान टाइगर हिल पर कब्जे के अभियान के दौरान भारतीय जवान।
3 जुलाई को शुरू किया गया ऑपरेशन
ब्रिगेडियर एमपीएस बाजवा ने प्लान बनाया कि सबसे पहले टाइगर हिल का सबसे ऊपरी एरिया कब्जे में लेना है। इसके बाद 3 जुलाई 1999 को शाम करीब पांच बजे सेना ने ऑपरेशन शुरू किया। ब्रिगेडियर बाजवा ने दाहिनी तरफ नार्थ ईस्ट पर हवलदार योगेंद्र यादव और कैप्टन बलवंत सिंह के नेतृत्व में सेना की एक टुकड़ी भेजी। जब पाकिस्तानियों ने देखा कि भारतीय सेना टाइगर हिल पर पहुंच गई है तो उन्होंने हमला कर दिया।
इसके बावजूद 4 जुलाई को योगेंद्र ने टाइगर हिल पर पहुंचकर बंकर उड़ा दिए। इसके बाद जीयूसी ने कमांडर को सूचित कर दिया। बाजवा जान चुके थे कि दोबारा कब्जा करने की कोशिश की जाएगी। काउंटर अटैक रोकने के लिए बाईं तरफ से जवानों को चढ़ा दिया गया। इस दौरान फायरिंग में तीन जेसीओ और कई जवान शहीद हो गए। 5 जुलाई को 18 ग्रेनेडियर एवं आठ सिख रेजीमेंट ने पूरी तरह टाइगर हिल को कब्जे में ले लिया।
भारतीय सेना ने 35 पाक सैनिक दफनाए
ब्रिगेडियर बाजवा ने बताया कि टाइगर हिल की चट्टानें सबसे खतरनाक हैं। यहां पर हर समय माइनस 60 डिग्री तापमान रहता है। उन्होंने बताया कि टाइगर हिल पर कब्जे के बाद मारे गए 35 पाकिस्तानियों के शव दफनाए गए। पाकिस्तान ने अपने कमांडर शेर खान का शव भी लेने से इन्कार कर दिया था। हालांकि बाद में वे इसके लिए को तैयार हो गए।
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तीन तरफ से की गई थी घेराबंदी
ब्रिगेडियर बाजवा के अनुसार, समुद्रतल से करीब 17 हजार फीट ऊंची टाइगर हिल की चोटी को सेना ने तीन तरफ से घेर लिया था। ब्रिगेडियर बाजवा ने बताया कि भारतीय सेना लगातार आगे बढ़ रही थी, सेना का इरादा देख घुसपैठियों ने अपनी हार मान ली और अपना कब्जा छोड़कर टाइगर हिल से भाग खड़े हुए।
36 घंटे तक चला था ऑपरेशन
यह ऑपरेशन करीब 36 घंटों तक चला और 4 जुलाई को सेना ने टाइगर हिल पर तिरंगा लहराया था। इस दौरान सेना ने कई घुसपैठियों को ढेर किया था। टाइगर हिल पर भारत की फतेह कारगिल युद्ध का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव था। कारगिल पर भारत का विजय अभियान 26 जुलाई को द्रास सेक्टर से पाकिस्तानी घुसपैठियों को भगाने के साथ समाप्त हुआ था।
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