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    प्रकाश सिंह कमेटी रिपोर्ट : विरोध की आशंका से सरकार नहीं कर रही अफसरों पर कार्रवाई

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Fri, 24 Jun 2016 02:30 PM (IST)

    जाट आरक्षण में फैली हिंसा के दौरान अफसरों की भूमिका पर प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करने को लेकर हरियाणा सरकार असमंजस मेें है। उसे अुफसरों के विरोध की आशंका है।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में जाट आंदोलन पर प्रकाश सिंह की रिपोर्ट के घेरे में आए आइएएस और आइपीएस अफसरों पर कार्रवाई को लेकर सरकार असमंजस में है। सरकार को आशंका है कि यदि अफसरों से उनका पक्ष जाने बिना कार्रवाई कर दी गई तो अफसरशाही में विरोध बढ़ सकता है। ऐसे में अफसरों को चार्जशीट करने से पहले उनका पक्ष पूछा जा रहा है।

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    प्रदेश सरकार ने आइपीएस और एचपीएस अफसरों से अगले दस दिन में उनका जवाब मांगा है। आइएएस और एचसीएस अधिकारियों से भी इसी तरह का जवाब लेने की तैयारी है। बता दें कि पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने अपनी रिपोर्ट में 90 अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े किए थे। इनमें पांच आइएएस और पांच आइपीएस समेत फायर विभाग के 10 अधिकारी भी शामिल हैं।

    प्रदेश सरकार तत्कालीन गृह सचिव पीके दास, डीजीपी यशपाल सिंघल और एडीजीपी सीआइडी शत्रुजीत कपूर को उनके पदों से हटा चुकी है। रोहतक के तत्कालीन डीसी डीके बेहरा और झज्जर की तत्कालीन डीसी अनीता यादव द्वारा प्रकाश सिंह की रिपोर्ट पर सवाल खड़े करने के बाद सरकार को लगा कि यदि अधिकारियों से उनका पक्ष नहीं पूछा गया तो पूरी अफसरशाही इस रिपोर्ट के खिलाफ लामबंद हो सकती है।

    पढ़ें : अफसराें को अब नहीं रहा प्रकाश कमेटी का खाैफ

    हालांकि, प्रकाश कमेटी की रिपोर्ट के बाद अफसरशाही में बड़ा बदलाव किया जा चुका है। रोहतक के तत्कालीन आइजी श्रीकांत जाधव को निलंबित करने के बाद सर्विस रूल्स के चलते बहाल कर दिया गया है। वहीं सोनीपत के तत्कालीन एसपी अभिषेक गर्ग, पानीपत के तत्कालीन एसपी राहुल शर्मा, जींद के तत्कालीन एसपी अभिषेक जोरवाल और कैथल के तत्कालीन एसपी कृष्ण मुरारी से प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट में दी गई टिप्पणियों पर जवाब मांगा गया है।

    पढ़ें : जाट आरक्षण : प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक, जानें- 10 प्रमुख बातें

    मांगा गया है जवाब

    प्रदेश सरकार 12 डीएसपी को निलंबित कर चुकी है। उनसे भी अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है। आइपीएस और एचपीएस को जवाब देने के लिए गृह विभाग की ओर से परिपत्र भेजे गए हैैं, जबकि आइएएस और एचसीएस से मुख्य सचिव कार्यालय की ओर से जवाब मांगे जाएंगे। सरकार प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर जींद जिले में तैनात आइपीएस वसीम अकरम और जींद के तत्कालीन डीसी विनय सिंह को प्रशस्ति पत्र देने पर भी विचार कर रही है।

    ठोस दलीलें दे पाए तो बच सकते हैैं अफसर

    राज्य के विवादित आइएएस और आइपीएस यदि अपने बचाव में प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट पर ठोस दलीलें पेश कर पाएं तो उनके विरुद्ध चार्जशीट की तैयारी बीच में रोकी जा सकती है। यदि सरकार के समक्ष यह अफसर अपने बचाव में सबूत पेश नहीं कर पाए तो कार्रवाई तय है।

    हमने सभी को अपना पक्ष रखने का मौका दिया

    '' हमने उन सभी अधिकारियों से अपना पक्ष रखने को कहा है, जिन पर प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट में अंगुली उठाई गई है। चार आइपीएस और 12 एचपीएस को हमने जवाब देने के लिए कह दिया है। आइएएस और एचसीएस के संबंध में विभागीय कार्रवाई मुख्य सचिव कार्यालय से चल रही होगी।
    - रामनिवास, गृह सचिव, हरियाणा।