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    राम रहीम ने घोड़ों पर प्रयोग कर साधुओं को बनाया था नपुंसक, कातिलों को दी ट्रेनिंग

    By Ankit KumarEdited By:
    Updated: Wed, 30 Aug 2017 09:03 PM (IST)

    कभी डेरा प्रिंटिंग शाखा में नौकरी करने वाले गुरदास सिंह ने राम रहीम को लेकर सनसनीखेज खुलासे किये हैं। उसने पत्रकार छत्रपति की हत्या के मामले में कई रहस्य उजागर किये।

    राम रहीम ने घोड़ों पर प्रयोग कर साधुओं को बनाया था नपुंसक, कातिलों को दी ट्रेनिंग

    जेएनएन, चंडीगढ़। डेरा प्रमुख राम रहीम के जेल जाने के बाद उसके सताए पूर्व डेरा प्रेमी खुलकर बोलने लगे हैं। लंबे समय तक समय डेरा प्रिंटिंग शाखा में नौकरी करने वाले गुरदास सिंह ने आरोप लगाया कि पत्रकार छत्रपति के कत्ल केस में फंसे कुलदीप सिंह और निर्मल सिंह को राम रहीम ने ही डेरे के अंदर पिस्तौल चलाने की ट्रेनिंग दी थी। उन्होंने यह सब अपनी आंखों से देखा था। उन्होंने यह आरोप पत्रकारों के सामने लगाए।

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    गुरदास ने बताया कि ट्रेनिंग के दौरान मिट्टी से भरी बोरियों के आगे कागज का टारगेट बनाया गया था और पिस्तौल चलाना सिखाया जाता था। छत्रपति कत्ल केस में कुलदीप सिंह मौके पर पकड़ा गया था। उस घटना के बाद उसका डेरे से मोह भंग हो गया था और राम रहीम के आदेश के बाद उसने डेरा छोड़ दिया था। उसे डर था कि अगर डेरा बिना बताए छोड़ दिया, तो उसका भी कत्ल करवाया जा सकता है।

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    गुरदास सिंह ने बताया कि डेरा छोडऩे के बारे में उनके पिता ने उसे राय दी थी थी। उनके पिता पुलिस में थे। गुरदास सिंह ने आरोप लगाया कि डेरा में एके 47 राइफलों का बड़ा जखीरा था, लेकिन अब डेरों की गाडिय़ों को बिना तलाशी से ही बाहर आने दिया जा रहा है और हो सकता है कि हथियारों का जखीरा डेरे से बाहर निकाल दिया गया हो।

    डेरा प्रमुख की जन्म तिथि को भी चुनौती

    गुरदास सिंह ने बताया कि वह तहकीकात के लिए डेरा प्रमुख के राजस्थान स्थित गांव गया तो पता चला कि उसका जन्म तो उसके ननिहाल गांव किक्करखेड़ा जिला फिरोजपुर में हुआ था। फिर उसने डेरामुखी का बर्थ सर्टिफिकेट निकलवाया तो पता चला कि डेरा प्रमुख की असली जन्म तिथि 10 जुलाई, 1967 है जबकि डेरा प्रमुख अपना जन्मदिन 15 अगस्त को मनाता है। इसका खुलासा करने वाले शिवजंट सिंह का डेरा प्रेमियों ने कत्ल कर दिया था, जिस कारण 25 डेरा प्रेमियों पर केस चल रहा है।

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    नपुंसक बनाए गए 166 साधुओं की लिस्ट सीबीआइ को सौंपी

    प्रेस कांफ्रेंस में ढुहाना निवासी हंस राज ने बताया कि डेरा प्रमुख ने उसको 17 साल की उम्र में नपुंसक बना दिया था। यह घटना 2002 की है। उस समेत 6-7 डेरा प्रेमियों की एक अस्पताल में डॉक्टरों को नपुंसक बना दिया गया। इससे पहले उन्होंने घोड़ों पर यह ट्रायल किया था।

    इसके बाद 400 से ज्यादा डेरा साधुओं को नपुंसक बनाया गया। उन्होंने दावा किया कि डेरे के सभी मुख्य प्रबंधक भी नपुंसक बनाऐ गए थे, ताकि वह भी डेरे में ही रहकर सेवा में समर्पित रहें। अब तक नपुंसक बनाए गए 166 साधुओं की सूची सीबीआइ को सौंपी जा चुकी है। इस मामले में अदालत में अक्टूबर में सुनवाई होगी।

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    पुलिस ने दी मुंह बंद रखने की धमकी

    हंसराज ने बताया कि जब पंचकूला हिंसा के बाद उसके मीडिया में बयान आने शुरू हुए, तो टोहाना की पुलिस ने पहले फोन पर उसे मुंह बंद रखने की धमकी दी और फिर उसके घर जाकर धमकाया कि वह मीडिया में न जाए। अधिकारी कह रहे हैं कि इससे पुलिस को सुरक्षा बढ़ानी पड़ेगी। डेरा प्रमुख ने उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी। इसी गम में उसके माता-पिता की मौत हुई। सिख फॉर जस्टिस के नेता वकील नवकिरन सिंह ने बताया कि वह साधुओं को नपुंसक बनाए जाने का केस बिना फीस लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह का स्वांग रचने के मामले में भी डेरा प्रमुख के खिलाफ पुलिस जल्द कार्रवाई करे।