हरियाणा में चल रहे पंजाब के 56 कानून होंगे खत्म
हरियाणा सरकार अपने यहां लागू पंजाब के 56 कानूनों को निरस्त करेगी। ये कानून संयुक्त पंजाब राज्य के समय में बने थे। इसके अलावा दह कानूनों में संशोधन किया जाएगा।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार राज्य में लागू पंजाब 56 ऐसे कानून निरस्त करने जा रही है, जिनकी अब कोई उपयोगिता नहीं है। ये कानून हरियाणा के गठन से पहले संयुक्त पंजाब के समय में बने थे। हरियाणा सरकार की ओर से बनाई गई कानून समीक्षा कमेटी ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को सौंपी 170 पेज की रिपोर्ट में इन कानूनों निरस्त करने की सिफारिश की है।
राज्य की कानून समीक्षा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में की सिफारिश
कमेटी ने इसके अलावा छह कानूनों में संशोधन का सुझाव भी दिया है। इनमें ओमप्रकाश चौटाला के शासनकाल में बना हरियाणा लोकायुक्त अधिनियम 2000 और भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के कार्यकाल में बना सेवा का अधिकार अधिनियम 2014 शामिल है।
जस्टिस इकबाल सिंह कमेटी ने सीएम को सौंपी 170 पेज की रिपोर्ट
समीक्षा कमेटी का गठन भाजपा सरकार ने 24 जुलाई 2015 को ऐसे कानूनों की पहचान करने के लिए किया गया था, जिनकी अब आवश्यकता नहीं है। कमेटी में अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस इकबाल सिंह सहित सदस्य रिटायर्ड आइएएस अधिकारी सुरजीत सिंह, रिटायर्ड आइएएस एसपी गुप्ता और हरियाणा राज्य कर्मचारी चयन आयोग के कानूनी सचिव राजीव डुडेजा शामिल हैैं।
325 कानून लागू है प्रदेश में
प्रदेश में करीब 325 कानून हैं। इनमें ज्यादातर वे हैैं, जो संयुक्त पंजाब के समय बने थे। 1 नवंबर 1966 को पंजाब से अलग होने के बाद हरियाणा ने 1968 में तमाम वह कानून अपने यहां लागू कर लिए थे, जो संयुक्त पंजाब के समय बने थे। अब राज्य सरकार महसूस कर रही थी कि इन कानूनों में बदलाव किया जाना चाहिए। माना जा रहा है कि राज्य सरकार पंजाब के कानूनों से मुक्त होने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
इन छह कानूनों में बदलाव की सिफारिश
1. हरियाणा लोकायुक्त अधिनियम, 2000
2. हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम 2014
3. हरियाणा पंचायती राज अधिनियम 1994
4. हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण अधिनियम 1977
5. पंजाब ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) अधिनियम 1961
6. हरियाणा कृषि उत्पाद बाजार अधिनियम 1961
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कुछ कानूनों की समीक्षा की जरूरत
कमेटी ने एक से अधिक विभागों की कार्यप्रणाली वाले कानूनों के संबंध में भी राय हासिल की। कमेटी ने कई अन्य महत्वपूर्ण अधिनियमों को भी चिह्नित किया है जिनकी समीक्षा की आवश्यकता है। कमेटी जल्दी ही इस संबंध में दूसरी रिपोर्ट सरकार को देगी।
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'' करीब नौ माह के अंतराल में हमने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट में राज्य में अप्रासंगिक कानूनों की जानकारी सरकार को दी है। इन्हें निरस्त किया जा सकता है। पूरी रिपोर्ट अंग्रेजी में है। नए कानून बनाने की कोई सिफारिश हमने नहीं की। यह फैसला सरकार का है। जिन कानूनों में बदलाव होना है, उसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।
- सुरजीत सिंह, रिटायर्ड आइएएस, हरियाणा।
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'' कानून समीक्षा कमेटी ने राज्य अधिनियमों की कार्यप्रणाली पर विभिन्न व्यक्तियों और संस्थानों के विचार जानने के लिए उनसे बात की। जनसाधारण के विचार भी लिए। कमेटी ने कई अन्य महत्वपूर्ण अधिनियमों को चिह्नित किया है जिनकी समीक्षा की जरूरत है। पहली रिपोर्ट सरकार को सौंप दी। कुछ और सिफारिशें भी की जाएंगी।
- जस्टिस इकबाल सिंह , चेयरमैन, कानून समीक्षा कमेटी, हरियाणा।
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