अंधेरे में स्मार्टफोन पर नजरें गड़ाए रहने से रोशनी जाने का खतरा
अंधेरे में स्मार्टफोन का प्रयोग आंखों के लिए खतरा बन सकता है। लगातार देखते रहने से आंखों की मांसपेशियों में खिंचाव आ जाता है। यह आंखों पर बुरा असर डालता है।
जेएनएन, कुरुक्षेत्र। देर रात तक अंधेरे में स्मार्टफोन पर नजरें गड़ाए रखने से युवाओं में आंशिक दृष्टिहीनता के साथ ही मोतियाबिंद और कालामोतिया (ग्लोकोमा), यूवाइटिस और पुतली के लेंस से चिपक जाने जैसे आंखों के रोग बढ़ रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में नेत्र रोग विशेषज्ञों के पास सौ से अधिक युवा इलाज के लिए पहुंचते हैं।
कुरुक्षेत्र के लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में ही प्रतिदिन दो तीन ऐसे युवा आते हैं जो स्मार्टफोन के कारण नेत्र रोगों से ग्र्रस्त होते हैं। इनमें ज्यादातर 25 साल से कम उम्र के ऐेसे युवा हैं, जो देर रात तक या तो अपने स्मार्टफोन से चिपके रहते हैं या फिर लैपटॉप पर।
एलएनजेपी अस्पताल के वरिष्ठ नेत्र रोग चिकित्सक डॉ. मुकेश सेलफोन के कारण नेत्र रोगों के बढऩे की वजह बताते हुए कहते हैं कि अंधेरे में स्मार्टफोन की स्क्रीन देखते रहने से आंखों की मांसपेशियों में ङ्क्षखचाव आ जाता है। स्मार्टफोन से निकलने वाली तीखी रोशनी रेटिना के मैक्यूलर एरिया पर बुरा असर डालती है। यह आंख का सबसे अहम हिस्सा है। आंख के इसी ङ्क्षबदु पर प्रतिङ्क्षबब पर पडऩे वाली रोशनी की वजह से हम देख पाते हैं। अंधेरे सेलफोन से चिपके रहने से इस ङ्क्षबदु के लेंस पर प्रभाव पड़ता है। इससे आंखों की मांसपेशियों में अकड़ जाती हैं। आंखे लाल हो जाती है। दर्द होने लगता है और व्यक्ति आंशिक दृष्टिहीनता का शिकार हो जाता है।
ग्लोकोमा में आंखों से रंगीन गोले दिखने के साथ तेज दर्द होता है, जी मचलाने जैसे लक्षण भी होते हैं। इसी तरह मोतियाबिंद में धुंधली परत आना, स्पष्ट ना दिखने जैसे लक्षण से रोग बढ़ता जाता है। डई आई (आंखों में सूखापन) और एलर्जेटिक कंजेक्टिक्स (रोशनी की तरफ देख न पाना) जैसे रोग भी हो जाते हैं। यूवाइटिस (आंखों के पर्दे पर सूजन आना) का खतरा भी बना रहता है।
डॉ. मुकेश बताते हैं कि स्मार्टफोन के लिए समय निर्धारित करें। रात को बेड पर लेटकर अंधेरे में इसका इस्तेमाल बिल्कुल न करें। यदि जरूरी हो तो पहले लाइट जला लें। बच्चों को अगर इंटरनेट से कुछ निकालना है तो दिन में केवल आधा घंटा ही इसका प्रयोग करने दें।
20 मिनट का ब्रेक लेकर आराम दें
हमें हर 20 मिनट में ब्रेक लेकर आंखों को आराम देना चाहिए। इससे आंखों की मांसपेशियों को रिलेक्स मिलता है। हरी सब्जियों का सेवन आंखों के लिए फायदेमंद रहता है। इन्फेक्शन या अन्य केस में समय पर जांच और उपचार पर ऑपरेशन से बचा जा सकता है।
सर्वाइकल भी इसका एक बड़ा कारण
एलएनजेपी अस्पताल के फिजियोथेरेपिस्ट सुमित शर्मा का कहना है कि रात में लगातार एक ही पोजीशन में लेट कर हाथों से मोबाइल चलाने से गर्दन की हड्डियां अपनी जगह से हट जाती हैं और दबाव ट्रैफिजियस नसों पर पड़ता है, जिससे नसें सूज जाती हैं। इसके बाद सर्वाइकल का दर्द शुरू हो जाता है। इसलिए लेट कर मोबाइल चलाने व टीवी देखने से परहेज करें।
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