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    हरियाणा में किसानों की सेमग्रस्त जमीन को लीज पर लेकर कमाई करेगी सरकार

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Fri, 14 Apr 2017 06:37 PM (IST)

    हरियाणा सरकार ने किसानों की सेमग्रस्त जमीन की समस्या का हल निकाल लिया है। सरकार इस जमीन को लीज पर लेगी और फिर इसमें मत्स्य पालन करवाएगी।

    हरियाणा में किसानों की सेमग्रस्त जमीन को लीज पर लेकर कमाई करेगी सरकार

    जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में सेम ग्रस्त जमीन से परेशान किसानों के लिए अच्छी खबर है। जिस भूमि पर फसल का एक दाना नहीं उगता, उसे अब सरकार पांच साल के लिए लीज पर लेगी। इस भूमि को मत्स्य पालन के अनुकूल बनाकर कमाई का जरिया बनाने की कोशिश होगी। प्रारंभिक चरण में झच्जर और रोहतक की 16 हजार एकड़ सेमग्रस्त भूमि की पहचान कर ली गई है।

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    कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने शुक्रवार को इस संबंध में संभावनाओं को तलाशने के लिए विभिन्न विभागों के आला अधिकारियों की बैठक ली। मत्स्य, सिंचाई, पंचायत और कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश की चार लाख 15 हजार हेक्टेयर भूमि सेम ग्रस्त है। अकेले झज्जर और चरखी दादरी के 60 गांवों की 16 हजार एकड़ भूमि में किसान कोई फसल नहीं ले पा रहे। इसलिए पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में इस क्षेत्र को चुना जाए।

    कृषि मंत्री ने बताया कि पंचायत विभाग के निर्धारित रेट के अनुसार मत्स्य पालन विभाग इस जमीन को लीज पर लेगा। इच्छुक किसान संबंधित बीडीओ से संपर्क कर सकते हैं। इस जमीन पर मत्स्य विभाग मछली की खेती कराएगा जिससे अच्छी आय हो सकेगी। योजना पर तेजी से काम करने के लिए अथॉरिटी बनाई गई है जिसमें कृषि, पंचायत, सिंचाई और मत्स्य विभाग के शीर्ष अधिकारी शामिल होंगे। कृषि विभाग के निदेशक कमेटी का संचालन करेंगे, जबकि मत्स्य विभाग के महानिदेशक सचिव होंगे।

    बैठक में पंचायत विभाग के निदेशक अशोक मीणा, मत्स्य विभाग के महानिदेशक आरके सांगवान, सिंचाई विभाग के प्रधान सचिव अनुराग रस्तोगी और चीफ इंजीनियर सतबीर सिंह कादियान सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

    एक माह में मांगी गई रिपोर्ट

    हरियाणा में 62 हजार 728 हेक्टेयर भूमि ऐसी है जहां भू-जल स्तर 1.50 मीटर से कम है। इसके अलावा तीन लाख 52 हजार 204 हेक्टेयर भूमि का भू-जल स्तर 1.5 से तीन मीटर तक है। इस भूमि पर कोई फसल नहीं होती। इस चुनौती को अवसर में बदलने के लिए कमेटी को धरातल पर काम करने का निर्देश देते हुए कृषि मंत्री ने एक माह में रिपोर्ट मांगी है।

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