नौ साल में घर छोड़ डेरे में चली गई थी विपासना, 12 वर्ष में सिर्फ दो बार मिली परिजनों से
विपासना महज नौ साल की अवस्था में ही घर छोड़कर डेरा सच्चा सौदा सिरसा में रहने लगी थी। परिवार को उसके साध्वी बनने पर कोई मलाल नहीं है।
करनाल [राजकुमार प्रिंस]। डेरा सच्चा सौदा सिरसा की चेयरपर्सन विपासना मूल रूप से करनाल की रहने वाली है और मात्र नौ साल की उम्र में उसने घर छोड़ दिया था। तब से वह डेरे में ही रह रही है। करनाल शहर निवासी सुरेश कुमार की पुत्री विपासना का जन्म 11 जून 1984 को हुआ था। उनका परिवार शुरू से ही डेरे के प्रति श्रद्धा रखता था। लिहाजा बचपन से ही माता-पिता के साथ विपासना भी वहां जाने लगी।
बचपन में उसे परिजन विपू के नाम से पुकारते थे। पांचवीं कक्षा तक की शिक्षा उसने लक्कड़ मार्केट स्थित डीएवी स्कूल से ग्रहण की। जब उसकी उम्र नौ बरस हुई थी तो वह डेरे में गई और वहीं से उसकी शिक्षा शुरू करवा दी गई। यहां से उसने स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की।
2005 में विपासना साध्वी बन गई थी। उसने डेरे के नाम ही अपना जीवन समर्पित कर दिया। वर्ष 2011 में उसे डेरे की चेयरपर्सन बना दिया गया। वह डेरा मुखी की विश्वासपात्रों में मानी जाती है। घर छोडऩे के बाद उसका करनाल से ताल्लुक कम हो गया था। पिछले करीब 12 साल में महज दो दफा ही वह करनाल अपने परिजनों से मिलने आई। एक बार 2009 में करनाल में गुरमीत राम रहीम का सत्संग था। उस समय राम रहीम भी विपासना के साथ उसके घर पर गया था।
पिता का है जरनल स्टोर
विपासना के पिता सुरेश कुमार का शहर की प्रमुख मार्केट में जरनल स्टोर है, जबकि उसका एक भाई है। भाई अनुभव ने आस्ट्रेलिया में शिक्षा ग्रहण की और वहां से आकर वह अब गुरुग्राम में अपना कारोबार कर रहा है। उसकी मां वीना गृहिणी है। परिजनों का कहना है कि उन्हें विपासना के साध्वी बनने का कोई मलाल नहीं है।
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