हौसले से छुआ आसमान, मूक बधिर बेटा पढ़ सके इसलिए खुद जाती थी स्कूल
मां को पता चला कि बेटा मूक बधिर है तो उसने हिम्मत नहीं हारी। वह खुद स्कूल गई और पढ़ाई कर बेटे को पढ़ाया। बेटे ने 12वीं में 74.3 फीसद अंक प्राप्त किए।
कैथल [सुरेंद्र सैनी]। बेटा जब पांच साल का हुआ तो मां को पता चला कि उसका बेटा न सुन सकता है और बोल। कुछ समय तो मां यह जानकर सन्न रह गई, लेकिन उसने हिम्मत नहीं छोड़ी। वह बेटे से इशारों ही इशारों में बात करने लगी।
धीरे-धीरे मां-बेटे के बीच निर्बाध मूक बातचीत होने लगी। वह बेटे को इशारों ही इशारों में पढ़ाने लगी और बेटा भी पढ़ाई में रुचि लेने लगा। मां के प्रयासों से बेटा पढ़ाई में अव्वल आने लगा तो मां-बेटे के हौसले को पंख लगने शुरू हो गए, लेकिन जब बेटा 12वीं में पहुंचा तो उसे स्कूल में पढऩे में दिक्कत होने लगी। मां ने हिम्मत नहीं छोड़ी और खुद स्कूल जाकर पढऩे लगी। स्कूल में जो भी पढ़ाया जाता वह घर आकर बेटे को पढ़ाती। इसी का परिणाम रहा कि बेटे ने 12वीं की परीक्षा कॉमर्स स्ट्रीम में 74.3 अंकों के साथ प्रथम श्रेणी में पास की।
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प्रताप गेट स्थित कानूनगो मुहल्ला निवासी सारिका ने बताया कि वर्ष 1998 में विनय बिंदलिश के साथ विवाह हुआ था। बेटा सिद्धांत पांच साल का हुआ तो पता चला कि वह बोलने व सुनने में सक्षम नहीं है। ओएसडीएवी स्कूल की प्रिसिंपल से मिलकर उन्होंने बच्चे को स्कूल में दाखिल करवा दिया। लेकिन स्कूल से मिलने वाला होमवर्क जब बच्चा नहीं कर पाया तो फिर यह चिंता सताने लगी की बच्चा स्कूल में कैसे पढ़ जाएगा।
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बीकॉम व फैशन डिजाइन में डिप्लोमा कर चुकी मां सारिका ने स्वयं ही स्कूल की क्लास लगानी शुरू कर दी। स्कूल से बच्चे को जो होमवर्क मिलता वह रोजाना स्कूल जाते हुए टीचरों से खुद पढ़ती, फिर घर में बच्चे की क्लास लगाती।
चंडीगढ़ में बड़ा अफसर बनना चाहता है सिद्धांत
सारिका ने बताया कि 12वीं पास करने के बाद वह अब बेटे सिद्धांत को आरकेएसडी कॉलेज में दाखिला दिलवाएगी। बेटे का सपना है कि वह चंडीगढ़ में बड़ा अफसर बने। उनके बेटे का ये सपना जरूर पूरा होगा।
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