कमाल की प्रतिभा है इन छह बच्चियों में, दोनों हाथों से लिखती हैं साथ-साथ
उझाना गांव की ईशा, मोनिका, प्रिया, पूजा, प्राची और तमन्ना को दोनों हाथों से लिखने में महारत हासिल है। हिंदी ही नहीं अंग्रेजी हो या पंजाबी हर भाषा में सुंदर और स्पष्ट लिखती हैं।
नरवाना [महासिंह श्योरान]। उझाना गांव स्थित स्वामी विवेकानंद स्कूल की दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली छह बच्चियां कमाल की हैं। वे दोनों हाथों से लिख लेती हैं। सिर्फ हिंदी ही नहीं अंग्रेजी हो या पंजाबी। सुंदर और स्पष्ट।
उझाना गांव की ये बच्चियां हैं ईशा, मोनिका, प्रिया, पूजा, प्राची और तमन्ना किसान परिवारों से हैं। उनके लक्ष्य के बारे में पूछा गया, तो ईशा व तमन्ना ने अध्यापिका बनने की चाहत जताई, पूजा व प्राची का सपना पुलिस अधिकारी बनने का है। मोनिका डॉक्टर बनने की इच्छा रखती है तो प्रिया वैज्ञानिक बनने का।
मन चेतन, अवचेतन व अचेतन अवस्थाओं में होता है
इन बेटियों के मार्गदर्शक रहे स्कूल के प्राचार्य कुलदीप सिंह का कहना है कि वह मनोविज्ञान के छात्र रहे हैं। उन्होंने बताया कि मन की तीन अवस्था होती है। चेतन, अवचेतन व अचेतन। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब हम गाड़ी चलाते हैं, तो हम एक दूसरे से बात भी करते हैं, गियर भी बदलते हैं, तो यह चेतन व अवचेतन मन की दो अवस्थाओं की बात है। इसी को लेकर उन्होंने स्कूल की 6 छात्राओं को दोनों हाथों से एक साथ लिखने के लिए प्रेरित किया। कुछ दिन के अभ्यास के बाद बच्चियों की मेहनत रंग लाई।
छात्राओं की प्रतिभा निखारने की जरूरत
स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाओं का कहना है कि बेटियां शहर की हों या उनमें प्रतिभा भरी पड़ी है। जरूरत है बस निखारने की। विवेकानंद स्कूल की ये सभी बेटियां पढ़ाई में भी अव्वल हैं, आज्ञाकारी हैं। नृत्य, गीत आदि सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी ये बढ़-चढ़कर भाग लेती हैं। क्योंकि किसी चीज का आविष्कार करने की तमन्ना भी ये छात्राएं अपने मन में पाले हुए हैं। उनका कहना है कि सरकार व प्रशासन रेत में पड़े इन छात्राओं रूपी हीरों की परख करें और दोनों हाथों से एक साथ लिखने की उनकी कला के लिए सम्मानित करें, ताकि वे अपनी इस कला को और अधिक बेहतर ढंग से प्रदर्शित कर सकें।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।