हिसार की दो बहनें उड़ाएंगी वायुसेना के फाइटर प्लेन
हिसार में एक परिवार की दोनों बेटियों ने देशसेवा का रास्ता चुना है। बड़ी बहन की तरह ही छोटी ने भी देशसेवा के लिए एयरफोर्स को चुना है।
हिसार, [सुनील बैनीवाल]। जय जवान, जय किसान के नारे को आत्मसात करने वाले इस परिवार ने धरा से आसमान तक को देश सेवा के लिए चुन लिया। हम बात कर रहे हैं रिटायर्ड कृषि अधिकारी सूरत सिंह की, जिनकी बड़ी बेटी वायुसेना में स्क्वाड्रन लीडर है और अब छोटी ने भी वायुसेना में फ्लाइंग अफसर की अपनी ट्रेनिंग पूरी कर ली है। सूरत सिंह का कहना है कि बेटियों ने उनके अरमानों को सातवें आसमान तक पहुंचा दिया है।
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भिवानी के चंदाबास गांव का रहने वाला है परिवार
हिसार के सेक्टर 13 निवासी सूरत सिंह मूल रूप से भिवानी के गांव चंदाबास के रहने वाले हैं। सूरत सिंह ने बताया कि वह हिसार में कृषि विभाग में इंस्पेक्टर पद से रिटायर्ड हैं। पत्नी बिमला देवी आंगनबाड़ी वर्कर है। उन्होंने बताया कि सोनिका सिंह और दिव्या सिंह बचपन से ही पढऩे में होशियार थीं। सोनिका ने 2009 में वायुसेना ज्वाइन की। दिव्या भी जनवरी 2015 में चयन के बाद डेढ़ साल की ट्रेनिंग के बाद बंगलूरू के एएफटीसी से 3 जून को दिव्या सिंह फ्लाइंग अफसर बनीं। दिव्या हैदराबाद में ज्वाइन करेगी, जबकि सोनिका त्रिवेंद्रम में कार्यरत है।
डीयू से की बीटेक
दोनों बहनों ने भिवानी के गांव चंदाबास के सरकारी स्कूल से ही अपनी प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की थी। हिसार आने पर दिव्या सिंह ने ब्लूमिंग डेल्स स्कूल में बारहवीं तक की शिक्षा प्राप्त की। उसके पश्चात दिल्ली यूनिवर्सिटी में बीटेक में मेरिट प्राप्त की। बंगलूरु के एएफटीसी में डेढ़ वर्ष तक वायुसेना का प्रशिक्षण लिया।
बड़ी बहन से मिली प्रेरणा
दिव्या ने बताया कि बड़ी बहन सोनिका को वायुसेना में जाने का जुनून था। जब बहन को ऑफिसर की वर्दी में देखा तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दिव्या ने कहा, इसके बाद मेरे दिल में भी वायुसेना में ऑफिसर बनने की चाहत तेज हो गई। मैं और मेरी बहन दोनों वायुसेना अधिकारी की ड्रेस में थी तो मम्मी-पापा की खुशी का ठिकाना नहीं था। दिव्या ने बताया कि फिलहाल वह 15-20 दिन की छुट्टी पर आई हुई है, उसके बाद हैदराबाद में ज्वाइन करेगी।
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एयरोनॉटिकल इंजीनियर हैं दोनों बहनें
सुरत सिंह ने बताया कि उनकी दोनों बेटियां सोनिका सिंह और दिव्या सिंह वायुसेना में एयरोनॉटिकल इंजीनियर के रूप में काम कर रही हैं। इनका कार्य उड़ान से पहले लड़ाकू विमानों की पूरी इंस्पेक्शन करना होता है। यदि कोई फाल्ट आता है तो उसकी जिम्मेदारी एयरोनॉटिकल इंजीनियर के कंधों पर ही होती है। इसके अलावा पायलट की ट्रेनिंग के दौरान ये को-पायलट के तौर पर साथ भी होते हैं।
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