तारों के झुंड में सैकड़ों ब्लैकहोल का चला पता
तारों का झुंड मिल्की वे जैसी आकाशगंगा का चक्कर लगाता है। तारों का यह समूह गोलाकार है। वैज्ञानिकों ने इसे एनजीसी 6101 नाम दिया है।
लंदन,प्रेट्र। ब्रिटिश अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने तारों के एक समूह में सैकड़ों ब्लैकहोल की मौजूदगी का पता लगाया है। सरे विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के मुताबिक, तारों का झुंड मिल्की वे जैसी आकाशगंगा का चक्कर लगाता है। तारों का यह समूह गोलाकार है। वैज्ञानिकों ने इसे एनजीसी 6101 नाम दिया है।
अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने कम्प्यूटर प्रणाली के जरिए नए ब्लैकहोल का पता लगाया है। शोधकर्ताओं ने बताया कि तारों के टूटने के कारण उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण बल के कारण इन ब्लैकहोल का निर्माण हुआ है। यह पूर्व निर्धारित सिद्धांतों के विपरीत है। इससे पहले, सुपरनोवा विस्फोट के कारण ब्लैकहोल के अस्तित्व में आने की बात कही जाती थी।
ब्लैकहोल का पता लगाने वाले दल में शामिल रहे मिकलॉस प्युटेन ने बताया कि ब्लैकहोल को टेलीस्कोप से देख पाना असंभव है क्योंकि फोटोन इससे होकर नहीं गुजर सकता है। ऐसे में उसके आसपास के क्षेत्रों में गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव के आधार पर उसकी मौजूदगी का पता लगाया जाता है।
वर्ष 2013 में पहली बार गोलाकार तारों के समूह में ब्लैकहोल के होने का पता लगाया गया था। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इसकी मदद से ब्लैकहोल को लेकर प्रचलित सिद्धांतों में बदलाव आएगा। इतना ही नहीं तारों के बारे में भी नई जानकारी हासिल की जा सकेगी।