फिल्म रिव्यू: दोजख : इन सर्च ऑफ हेवेन (2 स्टार)
निर्देशक जैगम इमाम ने अपने ही लिखे उपन्यास 'दोजख' पर बनाई है यह फिल्म और इसका टाइटल भी इसके नाम पर ही रखा है, दोजख : इन सर्च ऑफ हेवेन। मगर वह इस उपन्यास की दिल छू लेने वाली कहानी को पर्दे पर मनमोहक अंदाज में दिखने में उतने सफल
शुभा शेट्टी साहा
प्रमुख कलाकार: ललित मोहन तिवारी, गैरिक चौधरी, नाजीम खान, रूबी सैनी
निर्देशक: जैगम इमाम
संगीतकार: अमन पन्त
स्टार: 2
निर्देशक जैगम इमाम ने अपने ही लिखे उपन्यास 'दोजख' पर बनाई है यह फिल्म और इसका टाइटल भी इसके नाम पर ही रखा है, दोजख : इन सर्च ऑफ हेवेन। मगर वह इस उपन्यास की दिल छू लेने वाली कहानी को पर्दे पर दमदार तरीके से दिखने में उतने सफल नहीं रहे हैं।
फिल्म की कहानी कुछ इस तरह है। एक मुस्लिम मौलवी (ललित मोहन तिवारी) होता है, जिसे सभी प्यार से चचा के नाम से पुकारते हैं। वह काफी परेशान रहता है, क्याेंकि उसका 12 साल का इकलौता बेटा जॉन मोहम्मद (गैरिक चौधरी) लापता हो जाता है, जिसे वह प्यार से जानू बुलाता है। वैसे तो वह पैदा तो मुस्लिम परिवार में हुआ होता है, लेकिन उसकी दिलचस्पी ज्यादा हिंदू धर्म में होती है। वह मंदिर के पुजारी से घंटों बातें करता है, रामलीला में हनुमान का किरदार निभाता है और गंगा के घाट पर प्रवचन भी सुनता है। मगर मौलवी अपने बेटे की इस आदत की वजह से उस पर काफी गुस्सा करता है। जब तक जानू की अम्मी जिंदा होती है, दोनों बाप-बेटे के बीच सुलह कराती है, मगर एक हादसे में जानू के अम्मी की मौत हो जाती है। इसके बाद कई भावुक घटनाएं घटती हैं, जिन्हें बाकी की फिल्म में दिखाया गया है।
निर्देशक जैगम इमाम ने एक अच्छी फिल्म बनाने की कोशिश तो की है, मगर अभी उन्हें फिल्म निर्माण के कई पहलुओं को समझने की जरूरत है। इंटरवल से पहले फिल्म की रफ्तार काफी सुस्त है। इसके साथ ही खराब एडिटिंग, बेवजह के बैकग्राउंड म्यूजिक दर्शकों को परेशान करते हैं। हालांकि इंटरवल के बाद फिल्म रफ्तार पकड़ती है, लेकिन बाकी की खामियां साफ झलकती हैं।
अवधि: 92 मिनट