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'जिस्म' ने औरतों को औरत की नजर से दिखायाः पूजा भट्ट

'ये जिस्म प्यार करना नहीं जानता, ये जानता है सिर्फ भूख।' यह पूजा भट्ट निर्मित फिल्म 'जिस्म' का चर्चित संवाद है। ये डायलॉग फिल्म की नायिका सोनिया खन्ना कहती है। वह अपने इरादों को पूरा करने के लिए सही-गलत, नैतिक-अनैतिक तरीकों की परवाह भी नहीं करती। 12 साल पहले जब

By Monika SharmaEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2015 08:40 AM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2015 08:56 AM (IST)
'जिस्म' ने औरतों को औरत की नजर से दिखायाः पूजा भट्ट

नई दिल्ली, अमित कर्ण। 'ये जिस्म प्यार करना नहीं जानता, ये जानता है सिर्फ भूख।' यह पूजा भट्ट निर्मित फिल्म 'जिस्म' का चर्चित संवाद है। ये डायलॉग फिल्म की नायिका सोनिया खन्ना कहती है। वह अपने इरादों को पूरा करने के लिए सही-गलत, नैतिक-अनैतिक तरीकों की परवाह भी नहीं करती।

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12 साल पहले जब किसी हिंदी फिल्म में हीरोइन का वह अवतार लोगों ने देखा तो वह किसी झटके से कम नहीं था। छठे जागरण फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन पूजा भट्ट ने दैनिक जागरण के फिल्म संपादक अजय ब्रह्मात्मज के संग चली लंबी बातचीत में यह दावा किया। उनका स्पष्ट कहना था कि जिस्म से पहले के एरा की फिल्मों में नायिकाओं का उस किस्म का चित्रण इमैजिन भी नहीं किया जा सकता था। तब तलक उन्हें बेचारी, अबला व सती-सावित्री के तौर पर ही पर्दे पर दिखाया जाता था। असलियत में जबकि उदारीकरण के बाद से आम परिवार की महिलाएं भी अतिमहत्वाकांक्षी बन रही थीं। जिस्म के बाद औरत का ग्रे शेड इश्किया में भी दिखा।

बकौल पूजा, 'जिस्म से औरतों के चित्रण के एक नए व अलग युग का सूत्रपात हुआ। हालिया एनएच10 की नायिका अपने पति के हत्यारों को उसी क्रूरता से मारती है, जिस बेरहमी से उसका पति मारा जाता है। मतलब साफ है, महिलाएं अपने अत्याचार को अब बर्दाश्त नहीं करेंगी। वे भी आंख के बदले आंख नियम का अनुपालन कर सकती हैं। बहरहाल, अतिमहत्वाकांक्षी होना सिर्फ मर्दों की बपौती नहीं। औरतें भी हो सकती हैं। जिस्म में उस संवाद को नायिका से न कहलवाने के लिए कई लोगों ने कहा, लेकिन मैं जिद पर अड़ी रही। मेरी फिल्मों की नायिका स्ट्रौंग हेडेड रहेगी। उसको लेकर मैं स्पष्ट थी, हूं और आगे भी रहूंगी।'

पूजा ने आगे कहा, 'मैं जिस्म या जिस्म 2 को अश्लील नहीं मानती। मेरे दिमाग में खुद का सेंसर है। वह औरतों की ब्यूटी एस्थेटिकली ही दिखाता है। एकता कपूर की नायिकाएं भी सशक्त होती हैं, मगर उनका चित्रण अलग तरीके से होता है। मैं उसका सम्मान करती हूं। वही सनी लियोन जिस्म 2 में अलग तरीके से दिखाई गई, जबकि रागिनी एमएमएस 2 में अलग थीं। और गौर फरमाएं तो वे दोनों सनी लियोन की सबसे ज्यादा हिट फिल्में हैं। मैं अपनी फिल्मों में सिर्फ महिलाएं ही नहीं, मर्दों का भी हसीन चित्रण करती हूं। अगर मर्द बिपाशा बसु और सनी लियोन को देख आहें भर सकते हैं तो महिलाओं के लिए मेरी फिल्मों में जॉन अब्राहम और रणदीप हुड्डा थे।'

बातचीत को आगे बढ़ाते हुए पूजा भट्ट ने कहा, 'मुझ पर या भट्ट कैंप की फिल्मों पर अश्लीलता फैलाने का जो आरोप लगता रहा है, उसके जवाब में मैं धूम व बाकी फिल्मों का हवाला देना चाहूंगी। जिस्म में बिपाशा का किरदार जब समंदर से निकलती है तो वह गाउन में होती है, जबकि धूम में उनका किरदार गाउन के मुकाबले बहुत छोटी ड्रेस में था। दूसरी बात यह कि मैंने अपने निर्माण की पारी में जख्म, तमन्ना, सुर, रोग, पाप जैसी फिल्में भी बनाई हैं। तमन्ना बॉक्स ऑफिस पर डिजास्टर रही तो जख्म को सऊदी अरब में एंटी मुस्लिम तो मॉरिशस में एंटी हिंदू करार दे दिया गया। सिस्टम व लोगों का कमाल का दिवालियापन कह सकते हैं इसे, जबकि वे दोनों फिल्में कंटेंट के लिहाज से कितनी रिच थीं, सब जानते हैं। उनकी चर्चा तो नहीं होती, मेरा नाम आते ही सिर्फ जिस्म फ्रेंचाइजी के लिए याद किया जा सकता है, जो मैं उचित नहीं मानती।'

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