लिपस्टिक अंडर माई बुर्का पर सेंसर उतरा बचाव में
सेंसर प्रमुख ने आरोप लगाया कि कुछ लोग सिर्फ पब्लिसिटी पाने के लिए ऐसा करते हैं।कभी किसी डॉक्टर या इनकम टैक्स ऑफिसर को काम करने के लिए कहता है।
मुंबई। प्रकाश झा प्रोडक्शन की फिल्म लिपस्टिक अंडर माई बुर्का को सेंसर का सर्टिफिकेट देने से साफ़ मना कर देने के बाद जहां एक तरफ बॉलीवुड के बड़े फिल्म मेकर्स विरोध में उतर आये हैं वहीं सेंसर चीफ ने अपने फैसले को सही ठहराया है।
बता दें कि अलंकृता श्रीवास्तव डायरेक्टेड इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने दो बार सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया। बोर्ड का कहना है कि ये फिल्म गाली-गलौच के साथ सेक्सी दृश्यों के भरमार वाली लेडी-ओरियंटेड फिल्म है जिसे सर्टिफिकेट नहीं दिया जा सकता और निर्माता चाहे तो नियम के तहत ट्रिब्यूनल में अपील कर सकते हैं। बोर्ड के इस फैसले के बॉलीवुड में जमकर आलोचना की जा रही है। इस बीच सेंसर प्रमुख पहलाज निहलानी ने फिल्म को सीधा ना कह दिया गया है इसलिए किसी बदलाव को लेकर तो बात ही नहीं की जा सकती। एक अखबार से बात करते वक्त निहलानी ने कहा कि अगर सेंसर पर मोरल पुलिसिंग का आरोप लग रहा है तो इतनी सारी फिल्में समय से रिलीज़ कैसे हो रही हैं। उन्होंने कहा कि देश में बहुत से निर्माता फिल्म फेस्टिवल्स के लिए फिल्में बनाते हैं जिसके लिए सेंसर के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने कहा कि हर बार सेंसर पर ही आरोप लगाए जाते हैं क्योंकि वो आसान टारगेट है। कभी किसी डॉक्टर या इनकम टैक्स ऑफिसर को काम करने के लिए कहता है।
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उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग सिर्फ पब्लिसिटी पाने के लिए ऐसा करते हैं। अपने नाम के हिसाब से ही ये फिल्म उन महिलाओं के जीवन का दर्द दिखती है जो समाज की रूढ़िवादी मानसिकता के चलते अपने आप को बुर्के के अँधेरे में कैद कर लेती हैं। फिल्म में कोंकोणा सेन शर्मा, रत्ना पाठक शाह, आहना कुमरा और प्लबिता बोरठाकुर मुख्य भूमिकाओं में हैं।