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अब आलिया पर भड़कीं नीतू, कहा बंद करो बिहारियों की रूढ़ीवादी छवि दिखाना

बॉलीवुड एक्‍ट्रेस नीतू चंद्रा इस बात से दुखी हैं कि अभिषेक ने अपनी फिल्‍म में आलिया के किरदार के जरिए बिहार की बेहद खराब छवि पेश की है। नीतू ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए आलिया और अभिषेक को एक खुला पत्र लिखा है।

By Tilak RajEdited By: Published: Thu, 28 Apr 2016 04:51 PM (IST)Updated: Thu, 28 Apr 2016 05:00 PM (IST)
अब आलिया पर भड़कीं नीतू, कहा बंद करो बिहारियों की रूढ़ीवादी छवि दिखाना

मुंबई (आईएएनएस)। बिहार की एक लड़की के फिल्म एक्ट्रेस नीतू चंद्रा ने भी आलिया भट्ट और फिल्म 'उड़ता पंजाब' के डायरेक्टर अभिषेक चौबे को एक खुला पत्र लिखा है। नीतू इस बात से दुखी हैं कि अभिषेक ने अपनी फिल्म में आलिया के किरदार के जरिए बिहार की बेहद खराब छवि पेश की है।

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इससे पहले मिले खुले पत्र पर आलिया ने कहा था- 'हर क्रिया पर बराबरी से प्रतिक्रिया होती है। वहीं सोशल मीडिया पर जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया दिखाई देती है।'

लेकिन नीतू चंद्रा के खुले पत्र पर अभी तक उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। नीतू ने अपने खुले पत्र में लिखा, 'ये देखकर मैं बहुत पेरशान हो जाती है कि गुजरे कुछ सालों में हिन्दी सिनेमा किस तरह से बिहारियों को दिखाया जा रहा है। हालिया उदाहरण आलिया भट्ट की फिल्म 'उड़ता पंजाब' है। फिल्म के प्रोमो से तो कोई भी यही समझेगा कि डायरेक्टर अभिषेक चौबे ने भी बिहारियों की रूढ़ीवादी इमेज सभी के सामने लाई है। फिल्म में आलिया भट्ट बिहारी लड़की की भूमिका में हैं जो पंजाब में ड्रग की लत का शिकार हो जाती है। मैं इस बात से दुखी हैं।'

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आगे उन्होंने कहा कि फिल्ममेकर प्रकाश झा की अधिकांश फिल्में बिहार की पृष्ठभूमि पर आधारित रही हैं। वो खुद भी बिहार से ताल्लुक रखते हैं। बावजूद इसके अधिकांश फिल्मों में झा ने बिहारियों की रूढ़ीवादी इमेज ही प्रदर्शित की है। इसमें भ्रष्ट राजनैतिज्ञ, पुलिसमैन और गैंगस्टर्स आदि शामिल होते हैं।

नीतू ने कहा, 'बिहार को हमेशा ही सबसे ज्यादा खतरनाक स्थान के तौर पर बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है। बिहार पर आधारित फिल्मों में केवल किडनैपिंग, मर्डर और डकैती दिखाई जाती है। ऐसे फिल्ममेकर यह नहीं सोचते हैं कि वो बिहार के साथ ही खुद का नाम भी खराब कर रहे हैं। राजेंद्र प्रसाद (पहले राष्ट्रपति), उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (शहनाई वादक) जैसी कई हस्तियां हैं जो बिहार से आती हैं। आखिर क्या कारण है कि कोई फिल्ममेकर इन कहानियों पर आधारित फिल्मों का निर्माण नहीं करता है? शायद उन्हें लगता है कि वो फिल्मों और टीवी शो में इसी तरह बिहारियों का मजाक उड़ाते रहेंगे और कोई उनके विरोध में कुछ नहीं बोलेगा।'

नीतू ने लोगों से विनती की है कि बिहारियों की रूढ़ीवादी इमेज को दिखाना बंद करें, क्योंकि आपने सिर्फ बिहार को अपने कानों से देखा है आंखों से नहीं। अगर आप बिहार के बारे में सुनी-सुनाई बातों पर यकीन ना कर, खुद अपनी आंखों से बिहार जाकर देखेंगे तो आपको असल बिहार के दर्शन होंगे।


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