रफी की पुण्यतिथि पर विशेष: तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे...
रफी साहब ने फिल्म 'पगला कहीं का' के लिए एक गीत गाया था 'तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे...', ये लाइन आज भी उनके लिए सटीक बैठती है। हम आज तक रफी साहब को नहीं भुला पाए हैं और शायद कभी भुला भी ना पाएं। हिंदी सिनेमा के बेहतरीन पार्श्वगायकों
मुंबई। रफी साहब ने फिल्म 'पगला कहीं का' के लिए एक गीत गाया था 'तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे...', ये लाइन आज भी उनके लिए सटीक बैठती है। हम आज तक रफी साहब को नहीं भुला पाए हैं और शायद कभी भुला भी ना पाएं। हिंदी सिनेमा के बेहतरीन पार्श्वगायकों में शुमार मोहम्मद रफ़ी को गुज़रे 35 साल हो गए हैं। आज रफी साहब की 35वीं पुण्यतिथि है।
रफी साहब की आवाज़ और अंदाज़ को अपनाकर कई गायकों ने अपना करियर बना लिया। इन फेहरिस्त में सोनू निगम को भी शामिल किया जाता है, जो मौजूदा दौर के बेहतरीन गायकों में शुमार हैं। हालांकि मोहम्मद रफी ने भले ही किसी को अपनी गायकी का वारिस घोषित नहीं किया, लेकिन शब्बीर कुमार, मोहम्मद अजीज़ और अनवर जैसे कई गायक थे, जो रफ़ी जैसा ही गाते थे।
रफी के ये बेहतरीन नगमे शायद ही कभी आप भुला पाएं...
राही मनवा दुख की चिंता क्यों सताती है...
ये दुनिया ये महफिल मेरे काम की नहीं...
पत्थर के सनम, तुझे हमने मोहब्बत का खुदा जाना...
तुझको पुकारे मेरे गीत...
छू लेने दो नाजुक होंठों को कुछ और नहीं है...
तू गंगा की मौज मैं यमुना की धारा...
मेरे महबूब तुझे मेरी मोहब्बत की कसम...
हर दिल जो प्यार करेगा वो गाना गाएगा...
मेरे देश प्रेमियों आपस में प्रेम करो...
आदमी मुसाफिर है आता है जाता है...