माधुरी दीक्षित को भी मिली थी बड़ी नाकामी, पहली फिल्म ही हो गई सुपरफ्लॉप
बॉलीवुड की 'धक-धक गर्ल' माधुरी दीक्षित का आज 50वां बर्थडे है। आइए इस मौके पर आपको बताते हैं कि करियर की शुरुआत में उन्हें करना पड़ा था कितना संघर्ष।
नई दिल्ली (जेएनएन)। बॉलीवुड की 'धक-धक गर्ल' माधुरी दीक्षित को भले ही 50वां साल लग गया हो, मगर उनके लिए लोगों के दिलोंं ने अब भी धड़कना बंद नहीं किया है। आज भी उनके दिलों पर 'तेजाब' की मोहिनी, 'दिल' की मधु, 'बेटा' की सरस्वती से लेकर 'हम आपके हैं कौन' की निशा, 'दिल तो पागल है' की पूजा जैसे कई किरदारों का राज है, जिसे माधुरी ने निभाया और उन्हें यादगार बना दिया। 80 के दशक से हर फिल्म के साथ उनका अलग तेवर देखने को मिला और दर्शकों पर उनका जादू चलता गया।
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डांस का था बचपन से शौक, पर बनना था डॉक्टर
आज बॉलीवुड की इस खूबसूरत अभिनेत्री व डांसर का 50वां बर्थडे है। 15 मई, 1967 को उनका जन्म सपनों की नगरी मुंबई में ही एक महाराष्ट्रियन परिवार में हुआ। तीन साल की उम्र से ही उन्हें डांस का बेहद शौक था और बाद में चलकर वो एक प्रोफेशनल कथक डांसर बनीं। मगर वो एक अभिनेत्री नहीं बनना चाहती थीं। माधुरी के माता-पिता उन्हें एक डॉक्टर बनते देखना चाहते थे, मगर किस्मत में तो कुछ और बनना लिखा था। हां, ये मजेदार बात है कि माधुरी तो डॉक्टर नहीं बन सकीं, मगर उन्होंने अपने जीवन में डॉक्टर पति जरूर चुन लिया और आज वो डॉक्टर श्रीराम नैने व दो बेटों के साथ खुशहाल जिंदगी जी रही हैं। साथ ही बहुत कम ही सही, मगर अब भी फिल्मों व टीवी की दुनिया में सक्रिय जरूर हैं।
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शुरुआत में करनाा पड़ा काफी संघर्ष, कई फिल्में लगातार हुईं फ्लॉप
हालांकि माधुरी के लिए भी कामयाबी हासिल करना इतना आसान नहीं रहा था। अपने करियर की शुरुआत में उन्हें भी काफी संघर्ष करना पड़ा था। माधुरी ने 1984 में राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म 'अबोध' से बॉलीवुड में कदम रखा, मगर उनकी पहली फिल्म ही सुपरफ्लॉप साबित हुई। इस फिल्म में उनके अपोजिट बंगाली एक्टर तपस पॉल थे। इसमें गांव की लड़की बनीं माधुरी शादी का मतलब ही नहीं पता होता था। हालांकि अभिनय के लिए माधुरी को समीक्षकों की सराहना जरूर मिली। इसके बाद 1985 में माधुरी की सिर्फ एक फिल्म रिलीज हुई और वो है 'अवारा बाप', मगर यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप ही रही।
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वहीं 1986 में माधुरी की 'स्वाति' और 'मानव हत्या' जैसी दो फिल्में आईं, मगर उनकी किस्तम नहीं चमकी। उनकी फिल्में फ्लॉप होती रहीं। 1987 में भी माधुरी की तीन फिल्में 'मोहरे', 'हिफाजत' और 'उत्तर दक्षिण' रिलीज हुईं, मगर माधुरी को सफलता का स्वाद नहीं चखा पाईं। इसके बाद 1988 में माधुरी की रिलीज हुईं दो फिल्में 'दयावान' और 'खतरों के खिलाड़ी' भी बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिर गईं। मगर इसी साल उनकी किस्मत पलटी। 11 नवंबर, 1988 को अनिल कपूर के साथ रिलीज हुई फिल्म 'तेजाब' से माधुरी को जो सफलता मिली, फिर कभी उन्हें पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ी।
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