'पद्मावती' मामले में करणी सेना ने रखी अब नई शर्त, भंसाली को मिलेगी राहत
जयपुर में फ़िल्म की शूटिंग के दौरान सेना के सदस्यों ने जयगढ़ क़िले में फ़िल्म के सेट पर तोड़फोड़ की थी और भंसाली के साथ हाथापाई की।
मुंबई। पद्मावती की रिलीज़ स्थगित होने के बाद अब विरोधियों के सुर भी बदलने लगे हैं। विरोध में सबसे आगे रहने वाली करणी सेना के तेवर ढीले पड़े हैं और अब उन्होंने सशर्त समझौते की पहल की है। मेकर्स के लिए ये राहत भरी ख़बर हो सकती है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक़, करणी सेना ने एक प्रस्ताव रखा है, जिसमें कहा गया है कि पद्मावती की स्पेशल स्क्रीनिंग मेवाड़ के राजघरानों के लिए करवायी जाए। अगर वो फ़िल्म को पास कर देंगे तो करणी सेना अपना आंदोलन वापस ले लेगी। बताते चलें कि राजस्थान का राजपूत संगठन करणी सेना एलान के वक़्त से ही 'पद्मावती' का विरोध कर रहा है। जयपुर में फ़िल्म की शूटिंग के दौरान सेना के सदस्यों ने जयगढ़ क़िले में फ़िल्म के सेट पर तोड़फोड़ की थी और भंसाली के साथ हाथापाई की। इसके बाद भंसाली ने वहां से पैकअप करके महाराष्ट्र में सेट लगाकर शूटिंग की, मगर हंगामे जारी रहे।
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धीरे-धीरे हंगामे बढ़ते गये और राजनीतिक पार्टियों ने भी इस मुद्दे पर करणी सेना को समर्थन देना शुरू कर दिया। अलग-अलग शहरों में फ़िल्म को पद्मावती की शान के ख़िलाफ़ बताते हुए विरोध-प्रदर्शन होने लगे। राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की सरकारें भी पद्मावती के विरोध में खड़ी नज़र आने लगीं। कुछ संगठनों और नेताओं की तरफ़ से पद्मावती का रोल निभाने वाली एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण की नाक और भंसाली का सिर काटने वाले को करोड़ों के ईनाम का एलान किया गया, जिसकी गूंज अमेरिकन मीडिया में भी सुनायी दी।
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पद्मावती विवाद को लेकर हंगामे की वजह एक अफ़वाह बनी। सेना का कहना है कि फ़िल्म में दिल्ली सल्तनत के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी और चितौड़ की रानी पद्मिनी के बीच एक ड्रीम सीक्वेंस में प्रेम-प्रसंग दिखाया जा रहा है, जो राजपूताना शान और इतिहास के ख़िलाफ़ है। हालांकि संजय लीला भंसाली शुरू से इस तरह के किसी दृश्य से इंकार करते रहे हैं और कुछ दिन पहले उन्होंने एक वीडियो जारी करके इस बात की पुष्टि की थी कि फ़िल्म में 'पद्मावती' और खिलजी के बीच प्रेमालाप जैसा कोई सीन नहीं है। मगर, मेकर्स फ़िल्म की स्क्रीनिंग की मांग करते रहे।
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पिछले दिनों प्रोड्यूसर्स ने मीडिया के कुछ बड़े पत्रकारों को फ़िल्म दिखायी और उन्होंने अपने चैनल्स पर पद्मावती के समर्थन में ख़बरें चलायीं, जिसने सेंसर बोर्ड को ख़फ़ा कर दिया, क्योंकि तब तक पद्मावती को सेंसर सर्टिफिकेट नहीं मिला था। सब तरफ़ से घिरने के बाद आख़िरकार मेकर्स ने पद्मावती की रिलीज़ डेट अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी थी। फ़िल्म पहले एक दिसंबर को रिलीज़ हो रही थी।
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