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ट्रेजेडी किंग दिलीप साहब की कुछ यादगार और बेहतरीन फिल्‍में...

दिलीप कुमार की पहली फिल्‍म 'ज्‍वार भाटा' थी। इसके बाद उनकी 'प्रतिमा', 'मिलन', 'जुगुनू', 'मेला' और 'घर की इज्‍जत' जैसी कई फिल्‍में आईं, लेकिन उन्‍हें पहचान फिल्‍म 'अंदाज' से मिली। इस फिल्‍म में उनके साथ राज कपूर और नरगिस थे।

By Tilak RajEdited By: Published: Sat, 16 Apr 2016 09:40 AM (IST)Updated: Sat, 16 Apr 2016 10:21 AM (IST)

नई दिल्ली (जेएनएन)। दिलीप कुमार की पहली फिल्म 'ज्वार भाटा' थी। इसके बाद उनकी 'प्रतिमा', 'मिलन', 'जुगुनू', 'मेला' और 'घर की इज्जत' जैसी कई फिल्में आईं, लेकिन उन्हें पहचान फिल्म 'अंदाज' से मिली। इस फिल्म में उनके साथ राज कपूर और नरगिस थे। फिल्म में दिलीप साहब ने एक युवा का किरदार निभाया था। मेहबूब खान डायरेक्टेड ये फिल्म प्रेम त्रिकोण पर आधारित थी। इसके बाद दिलीप साहब ने पूछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक बेहतरीन फिल्में हिंदी सिनेमा को दीं।

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गौरतलब है कि दिलीप कुमार की तबीयत शुक्रवार की रात अचानक बिगड़ गई। जिसके बाद उन्हें लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया। फिलहाल वे डॉक्टरों की देखरेख में हैं और उनकी हालत में सुधार बताया जा रहा है।

मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार की तबीयत बिगड़ी, लीलावती अस्पताल में भर्ती

अंदाज- इस फिल्म में दिलीप साहब ने पहली बार राज कपूर के साथ स्क्रिन शेयर की थी। फिल्म प्रेम त्रिकोण पर आधारित थी। दिलीप साहब ने इस फिल्म में दिलीप नाम के युवा का किरदार निभाया था। फिल्म का म्यूजिक नौशाद ने दिया था, जिसे काफी पसंद किया गया। इस फिल्म से दिलीप साहब को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक अलग पहचान मिली।

दाग- 1952 में आई फिल्म 'दाग' के लिए दिलीप साहब को पहला फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला। इसमें दिलीप साहब ने एक गरीब युवक का किरदार निभाया था, जो मिट्टी के खिलौने बेचता है। दिलीप साहब के अलावा फिल्म में निम्मी और ललिता पावर मुख्य भूमिका में थे।

देवदास- बिमल रॉय निर्देशित 'देवदास' से दिलीप साहब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ट्रेजिडी किंग के रूप में मशहूर हो गए। ये फिल्म शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास पर आधारित थी, जिसमें दिलीप साहब ने देवदास मुखर्जी का किरदार निभाया था। 'देवदास' के लिए उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला।

आजाद- इस फिल्म के लिए भी दिलीप साहब को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा गया था। इसमें उन्होंने आजाद का लीड किरदार निभाया था। फिल्म में मीना कुमारी, प्राण और ओम प्रकाश जैसे दिग्गज कलाकार थे। इस फिल्म का गाना 'अपलम चपलम' काफी लोकप्रिय रहा।

नया दौर- इस फिल्म की कहानी आजादी के बाद की थी, जब उद्योगिकरण धीरे-धीरे बढ़ रहा था। ऐसे में आदमियों की जगह मशीनें ले रही थीं, जिससे हजारों लोग बेरोजगार हो रहे थे। दिलीप साहब ने इस फिल्म में एक टांगेवाला का किरदार निभाया था। इस फिल्म के गाने 'यह देश है वीर जवानों का...' और 'साथी हाथ बढ़ाना...' काफी लोकप्रिय रहे, जिन्हें आज भी सुना जाता है। इस फिल्म के लिए भी दिलीप साहब को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा गया था।

कोहिनूर- ऐसा कहा जाता है कि 'देवदास' जैसी फिल्मों में ट्रेजिक रोल निभाने के बाद दिलीप साहब डिप्रेशन में चले गए थे। इसके बाद डॉक्टर ने उन्हें कुछ हल्के किरदार निभाने की सलाह दी थी। तब दिलीप साहब ने 'कोहिनूर' फिल्म की। इसमें उन्होंने एक राजकुमार का किरदार निभाया था, जो बाद में राजा बनता है। फिल्म में दिलीप साहब के अपोजिट मीना कुमारी थीं।

लीडर- इस फिल्म की कहानी राजनीति के इर्दगिर्द बुनी गई थी। इसमें दिलीप साहब ने एक अखबार के संपादक का किरदार निभाया था, जिसपर एक पॉलिटिकल लीडर की हत्या का इल्जाम लग जाता है। इस फिल्म के लिए भी दिलीप साहब को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा गया था।


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