Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    चला गया बॉलीवुड का चुलबुला सितारा: अदाओं के जादूगर थे शशि कपूर

    By Manoj KhadilkarEdited By:
    Updated: Mon, 04 Dec 2017 07:31 PM (IST)

    आज के दौर में कॉमेडियन उनके जिस चाल ढाल की नक़ल उतारते हैं, उस ज़माने में शशि कपूर अपनी इन्हीं अदाओं के लिए ही जाने जाते थे ।

    चला गया बॉलीवुड का चुलबुला सितारा: अदाओं के जादूगर थे शशि कपूर

    मुंबई। हिंदी सिनेमा के बेहतरीन चार्मिंग अभिनेता और कपूर खानदान अपने अपनी पीढ़ी के आख़िरी सितारे शशि कपूर का सोमवार को मुंबई में 79 वर्ष की उम्र में निधन हो गया । उनके जाने से उस युग का भी अवसान हो गया जिसने सिनेमा की हर विधा में पारंगत होने का महारथ हासिल किया है ।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    साठ के दशक से लेकर 80 के दशक के मध्य तक शशि कपूर ने हिंदी सिनेमा को अपनी एक्टिंग के दम पर एक से बढ़ कर एक फिल्में दीं । 1938 में 18 मार्च को कोलकाता में पृथ्वीराज कपूर के घर तीसरा बेटा पैदा हुआ था । नाम रखा गया बलराज कपूर । अपने दोनों बड़े भाइयों राज और शम्मी की तरह बलराज की किस्मत में भी फिल्मों का सुनहरा पर्दा पहले से ही लिखा हुआ था। पिता के पृथ्वी थियेटर के साथ घूमते घूमते उनका बालपन कैमरे के सामने आ ही गया। संग्राम और दाना पानी सहित चार फिल्मों में शशि कपूर ने 1948 से लेकर 1954 बाल कलाकार की भूमिका निभाई। फिल्म पोस्ट बॉक्स 999 से शशि कपूर ने फिल्मों की तरफ़ सीरियस रुझान शुरू कर दिया और सबसे पहले असिस्टेंट डायरेक्टर की कमान संभाली। दूल्हा- दुल्हन और श्रीमान सत्यवादी जैसी फिल्मों में उन्होंने अपने पिता राज कपूर को असिस्ट किया।

    यह भी पढ़ें: जाने-माने अभिनेता शशि कपूर का निधन

    शशि कपूर ने 1961 में धर्मपुत्र से अपना फिल्मी करियर शुरू किया। सौ से अधिक फिल्मों में काम करने वाले शशि कपूर ने 61 फिल्में सोलो हीरो के तौर पर की और 55 मल्टीस्टारकास्ट के साथ । शशि कपूर ने हाउस होल्डर और शेक्सपियर वाला जैसी अंग्रेजी फिल्मों में भी काम किया। शशि कपूर ऐसे पहले भारतीय अभिनेताओं में से थे जिन्होंने इंटरनेशनल फिल्मों की ओर रुख किया । नंदा के साथ उनकी कमाल की जोड़ी बनी । चार दिवारी, मेहँदी लगी मेरे हाथ, मोहब्बत इसको कहते हैं, राजा साब, रूठा न करो और हिंदी सिनेमा की बेहतरीन फिल्म जब जब फूल खिले। पर शशि कपूर का असली दौर शुरू हुआ सत्तर के शुरूआती दशक में। एक ऐसा अभिनेता जिसमें न सिर्फ चार्म था बल्कि उससे भी बढ़ कर मासूमियत और चुलबुलापन । आज के दौर में कॉमेडियन उनके जिस चाल ढाल की नक़ल उतारते हैं, उस ज़माने में शशि कपूर अपनी इन्हीं अदाओं के लिए ही जाने जाते थे । शशि कपूर ने उस दौर की लगभग हर अभिनेत्री के साथ जोड़ी बनाई । राखी से लेकर शर्मीला टैगोर तक, हेमा से लेकर मौसमी चटर्जी तक। अमिताभ बच्चन के भाई के रूप में फिल्म दीवार में उनकी भूमिका से ज़्यादा ‘ भाई, तुम साइन करते हो कि नहीं..’ डायलॉग अमर हो गया । उस दौर में शशि कपूर ने जानवर और इंसान, कभी कभी, बसेरा, पिघलता आसमान, वक्त , आमने सामने, आ गले लग जा , न्यू देहली टाइम्स, रोटी कपड़ा और मकान, सत्यम शिवम् सुन्दरम और क्रोधी जैसी फिल्मों में काम किया . उनकी कुछ यादगार फिल्मों में फकीरा, हसीना मान जायेगी, चोर मचाये शोर, इमान धरम, सुहाग, शान और जुनून जैसी फिल्में शामिल थी । बच्चन के साथ उनका ख़ास दोस्ताना रहा और दोनों में 12 फिल्मों में साथ काम किया । साल 1978 में शशि कपूर ने फिल्म विलास नाम का प्रोडक्शन हाउस खोला जिसके तहत कलयुग, 36 चौरासी लें , उत्सव और विजेता जैसी फिल्में बनी ।

    यह भी पढ़ें: जब अमिताभ के पास नहीं था काम, जानें कैसे शशि कपूर ने बढ़ाया था हाथ

     

    शशि कपूर ने 1958 में ब्रिटिश एक्ट्रेस जेनिफर केंडल से शादी की थी । उनका 1984 में कैंसर की बीमारी से निधन हो गया । शशि कपूर के दो बेटे कुणाल और करण हैं जबकि बेटी संजना, उनके पृथ्वी थियेटर का काम देखती हैं । शशि कपूर लंबे समय से बीमार रहते थे लेकिन फिल्मों और रंगमंच के प्रति उनकी लगन देखते ही बनती थी । वो व्हील चेयर पर होने के बावजूद हर पृथ्वी थियेटर जाया करते थे । शशि कपूर को इससे पहले भी सांस लेने में तकलीफ़ के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया था ।