उत्तराखंड चुनाव 2017: बेटे की शहादत, परिवार ने लिखी इबारत
जम्मू एंड कश्मीर में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए धर्मेंद्र ने परिवार ने लाडले के अंतिम दर्शन के इंतजार में मतदान देकर नई इबारत लिखी।
हल्द्वानी, [संदीप मेवाड़ी]: ऐसी मिसाल तो बिरले ही देखने को मिलती है। बेटे ने शहादत देकर देश के प्रति फर्ज निभाया तो बूढ़े पिता और परिवार ने लोकतंत्र के प्रति अपना कर्तव्य। कितना कठिन रहा यह पल। देश की सरहद पर एक दिन पहले शहीद बेटे का शव अभी घर नहीं पहुंचा है।
परिवार की महिलाओं के करुण क्रंदन हर किसी का कलेजा मुंह को आ जा रहा है लेकिन परिवार की दिलेरी ऐसी कि मतदान के प्रति अपना फर्ज निभाने से पीछे नहीं हटे। शहीद के परिवार के इस कदम की हर ओर सराहना होने के साथ ही इसे नजीर के तौर पर देखा जा रहा है।
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नैनीताल जिले के कोटा ब्लाक के ग्राम पतलिया निवासी धर्मेंद्र कुमार साह (26 वर्ष) पुत्र मोहन लाल साह 29 पैरा एसएफ (स्पेशल फोर्स) में कमांडो थे। वर्तमान में वह 31आरआर(पैरा एसएफ) में जम्मू-कश्मीर में तैनात थे। जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा जिले के पर्रे मोहल्ला, हाजिन में आतंकियों से लोहा लेते समय पैरा कमांडो धर्मेंद्र शहीद हो गए। सीने में गोलियां खाकर धर्मेंद्र ने एक आतंकी को मार गिराया।
बेटे को खोने के गम में परिवार बेहाल है लेकिन शहादत और दिलेरी पर फर्क भी महसूस कर रहा है। धर्मेंद्र का पार्थिव शरीर हवाई सेवा से घर लाया जाना है। पूरे गांव के साथ ही नाते-रिश्तेदार और कई गांवों के लोग शहीद के घर पर जुटे थे। परिवार वालों को कमांडो धर्मेंद्र की मौत पर दु:ख तो था, लेकिन लोकतंत्र के प्रति अपने कर्तव्य की याद भी थी।
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दोपहर में पूरे परिवार ने बेटे की देह आने से पहले लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होने का निर्णय लिया। फिर क्या था, परिवार के इस फैसले ने पूरे क्षेत्र में हलचल पैदा कर दी। परिवार के साथ ही दर्जनों लोग भी राजकीय कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय, पतलिया में बने मतदान केंद्र की ओर रुख कर लिया। केंद्र पर पहुंचकर शहीद के पिता मोहन लाल साह, बड़ा भाई पवन कुमार व छोटा भाई दीपक कुमार, चाचा भजन लाल साह व चुन्नी लाल साह व चचेरे भाई कपिल साह, निकित साह और कन्हैया लाल साह ने मतदान किया। लोकतंत्र के लिए शहीद के परिवार के इस कदम के बारे में जिसे पता लगा, उसने फैसले की दिल से सराहना की।
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दूसरे दिन भी मां लाडले की शहादत से अंजान
पैरा कमांडो धर्मेंद्र की शहादत के बारे में उनकी मां सावित्री देवी को नहीं बताया गया है। दूसरे दिन भी वह जिगर के टुकड़े के मौत से अंजान थी। धर्मेंद्र के पिता मोहन लाल साह ने बताया कि सावित्री दिल की मरीज है।
उन्हें केवल मुठभेड़ के दौरान धर्मेंद्र को गोली लगने और इलाज के लिए हल्द्वानी लाने की जानकारी दी गई है। हालांकि सावित्री का दूसरे दिन भी रो-रोकर बुरा हाल था। परिवार वाले उन्हें सांत्वना देने में जुटे थे।
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भाइयों की शादी की चल रही थी तैयारी
पिता मोहन लाल साह ने बताया कि धर्मेंद्र तीन भाइयों में मझला(बीच) था। धर्मेंद्र का बड़ा भाई पवन कुमार व छोटा भाई दीपक कुमार खेती-बाड़ी करते हैं। पिता ने बताया कि धर्मेंद्र को बचपन से ही सेना में कमांडो बनने की धुन थी। हाईस्कूल में पहुंचते ही उसने सेना के लिए तैयारी शुरू कर दी थी। अभी किसी भी बेटे की शादी नहीं हुई है। गर्मियों में कमांडो व बड़े बेटे पवन की एक साथ शादी का विचार परिवार में चल रहा था।
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सुबह नौ बजे घर पहुंचेगा शहीद का पार्थिव शव
सैन्य अफसरों के मुताबिक कमांडो धर्मेंद्र कुमार सिंह का पार्थिव शरीर एयर फोर्स के एएन-32 प्लेन से शाम छह बजे जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर से बरेली पहुंच गया है। गुरुवार सुबह साढ़े आठ बजे एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर से बरेली से कोटाबाग के राजकीय इंटर कालेज तक कमांडो का पार्थिव शरीर लाया जाएगा। यहां से सेना के वाहन से शव घर पहुंचेगा।
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