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    यूपी चुनाव 2017: रामगोपाल बोले- मैं नीलकंठ हूं, मैंने अखिलेश को बचाया

    By Dharmendra PandeyEdited By:
    Updated: Mon, 13 Feb 2017 12:32 PM (IST)

    राज्यसभा सांसद प्रो. रामगोपाल यादव ने कहा कि मुलायम सिंह हमेशा कांग्रेस के विरोधी नहीं रहे। विपक्षी दल ये फर्जी प्रचार कर रहे हैं। भाजपा के पास अखिलेश जैसा कोई नेता नहीं।

    यूपी चुनाव 2017: रामगोपाल बोले- मैं नीलकंठ हूं, मैंने अखिलेश को बचाया

    आगरा (जेएनएन)। पारिवारिक घमासान के चलते संकट में घिरी समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह की साइकिल बचाकर नायक के रूप में उभरे पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सांसद प्रो. रामगोपाल यादव ने कहा कि मुलायम सिंह हमेशा कांग्रेस के विरोधी नहीं रहे। विपक्षी दल ये फर्जी प्रचार कर रहे हैं।
    भाजपा के पास अखिलेश यादव जैसा कोई नेता नहीं, इसलिए व्यक्तिगत बातें जुमले के रूप में उछाले जा रहे हैं। जनता जागरूक है, न जातिवाद देखेगी और संप्रदायवाद। परिवार, गठबंधन और पार्टी से लेकर अन्य मुद्दों पर डॉ. राहुल सिंघई से उनकी बातचीत-
    सपा और कांग्रेस के गठबंधन पर विपक्षी दल लगातार हमले बोल रहे हैं। कहा जा रहा है कि मुलायम सिंह ने हमेशा कांग्रेस का विरोध किया और अखिलेश ने उससे हाथ मिला लिया?
    -राजनीति में स्थायी दोस्त और विरोधी नहीं होते। मुलायम सिंह हमेशा कांग्रेस के विरोधी नहीं रहे। विपक्षी गलत प्रचार कर रहे हैं। 1990 में जब मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे तब गोली कांड हुआ था, उस वक्त कांग्रेस ने मुलायम सिंह का साथ दिया था। पिता-पुत्र के रिश्तों को लेकर विपक्षी दल केवल जनता को भ्रमित करना चाहते हैं।
    27 साल से वनवास झेल रही कांग्रेस से आखिर गठबंधन की जरूरत क्यों पड़ी और इससे कितना फायदा होगा?
    - गठबंधन भाजपा और सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए हुआ है।अखिलेश का विकास एजेंडा और कांग्रेस का साथ पार्टी को बड़ी जीत दिलाएगा। ये गठबंधन लंबा चलेगा।
    साइकिल चुनाव चिन्ह बचाने में आप नायक बनकर जरूर उभरे, लेकिन उस वक्त मुलायम खेमे के लिए तो खलनायक ही रहे। तरह-तरह के आरोप भी लगे?
    - उस वक्त पार्टी में जो रहा था, सब जानते हैं। नेताजी अपने मन से कोई काम नहीं कर पा रहे थे। अन्य लोगों की सलाह से ऐसा काम कर रहे थे कि अखिलेश दोबारा मुख्यमंत्री न बन पाते। शिवपाल दनादन लोगों को पार्टी से निकाल रहे थे। ऐसे में सभी डेलीगेट््स ने पार्टी को बचाने और अखिलेश यादव को स्थापित करने अनुरोध किया। अखिलेश के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद सब शांत हो गया। मैंने तो पार्टी को जीवनदान दिया। मैं नीलकंठ बना रहा।
    आपने चुनावी जनसभा में कहा कि पार्टी के कुछ नेताओं ने विकास के नाम पर ठेकेदारी की। विधान परिषद अध्यक्ष को हटाने की टिप्पणी भी की?
    - जब संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति पद की गरिमा नहीं रख सकता, तो वह पद पर रहने लायक नहीं है। मुकदमे दर्ज हो रहे हैं। इसलिए मैंने कहा कि जरूरत पड़ी, तो ऐसे लोगों को हटाया जाएगा।
    आपके परिवार की बहू और लखनऊ से चुनाव लड़ रही अपर्णा यादव ने आरक्षण को लेकर विवादित बयान दिया। भाजपा इसे मुद्दा बना रही है?
    - कई बार कुछ उम्मीदवार और नए कार्यकर्ता इस तरह का बयान दे देते हैं। हमारी पार्टी आरक्षण की प्रबल समर्थक है। विशेष अवसर का सिद्धांत लोहिया ने दिया था। ये विशेष अवसर ही आरक्षण है। इस तरह की बात न मुलायम सिंह ने कही, न अखिलेश ने और न मैंने। नए उम्मीदवार कहते हैं, तो इसका कोई मतलब नहीं।
    भाजपा और बसपा किसानों का कर्ज माफ करने की बात कह रही हैं। अब भाजपा लैपटॉप बांटेगी, प्रदेश की अर्थव्यवस्था को देखते हुए क्या यह संभव है?
    - भाजपा ने तो हमारा एजेंडा चुराया है। भाजपा ने तो कोई वादा पूरा नहीं किया। हमने तीस लाख लैपटॉप बांटे, अब स्मार्ट फोन बांटेंगे।
    आप पार्टी में गठबंधन विरोधी रहे, बिहार में आपके कारण ही गठबंधन नहीं हुआ, क्या कहते हैं?
    - देखिए ये गलत है। लालूजी ने जब सपा को अपनी तरफ से दो सीटें देने की घोषणा की, तब नेताजी ने खुद मुझसे प्रेस वार्ता करने को कहा था। मैं पहले ही कह चुका हूं कि मैं नीलकंठ हूं। मैंने अखिलेश को बचाया, पार्टी को बचाया। मुझे कोई लालच नहीं।
    शिवपाल नई पार्टी बना रहे हैं, क्या चुनाव के बाद बिखराव संभव है?
    - शिवपाल यादव सपा की सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। यदि जीतकर पार्टी बनाते हैं, तो उनकी सदस्यता खत्म हो जाएगी, इसलिए वे ऐसा नहीं करेंगे। मुलायम सिंह भी इन्कार कर चुके हैं।

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