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    हिलेरी और ट्रंप के बीच आखिरी डिबेट आज, बढ़त बनाने का भी लास्‍ट चांस

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Wed, 19 Oct 2016 11:07 AM (IST)

    डोनाल्‍ड ट्रंप और हिलेरी क्लिंटन के बीच आत तीसरी और अंतिम डिबेट होनी है। यह लॉस वेगास में होगी। दोनों नेताओं के बीच अपनी बढ़त बनाने का यह अंतिम अवसर होगा।

    न्यूयार्क (पीटीआई)। अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए खड़े रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीद्वार डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेट उम्मीद्वार हिलेरी क्लिंटन के लिए आज अपनी बढ़त बनाने का अंतिम अवसर है। अंतिम अवसर इसलिए क्योंकि आज ही दोनों नेताओं के बीच लॉस वेगास में आखिरी प्रजिडेंशियल डिबेट होनी है। इससे पहले हुई दोनों ही डिबेट में हिलेरी क्लिंटन, डोनाल्ड ट्रंप को पछाड़ते हुए बढ़त बनाने में कामयाब हुई हैं।

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    बढ़त बनाने का अंतिम अवसर

    इस अंतिम डिबेट से पहले ऑस्टिन मार्क्स स्कूल ऑफ पब्लिक एंड इंटरनेशनल अफेयर्स के डीन डेविड बर्डसेल मानते हैं यह दोनों नेताओं के लिए एक दूसरे पर बढ़त बनाने का बेहद अहम अवसर है। उनके मुताबिक इस चुनावी कैंपेन में दोनों ही नेताओं ने कुछ गलतियां की हैं, जिसका खामियाजा दोनों ही नेताओं को भुगतना पड़ा है। उनका कहना है कि अब तक हुई दो डिबेट के बाद भी काफी लोग इस बात को लेकर फैसला नहीं कर सके हैं कि उन्हें किसको वोट देना चाहिए। इसके लिए वह दूसरे लोगोंं का सहारा भी ले रहे हैं।

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    डिबेट का महत्व

    उनके मुताबिक अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से पूर्व होने वाली डिबेट लोगों को उम्मीद्वारों के प्रति अपना मन मनाने में मदद करती है। देश की जनता उनके काम और उनकी पॉलिसी या फिर घोषणा पत्र के जरिए यह जान पाती है कि उनके लिए कौन सा उम्मीद्वार ठीक रहेगा। वहीं यह डिबेट लोगों का विश्वास जीत पाने में बेहद कारगर होती हैै।

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    डिबेट में गलतियों की भरमार

    बर्डसेल के मुताबिक प्रजिडेंशियल डिबेट केे इतिहास पर यदि नजर डालेंगे तो सभी में ही कुछ न कुछ कमियां दिखाई दे जाएंगी। फिर चाहे वह पहले 1960 में जब इसकी शुरुआत हुई थी और निक्सन ने इस प्रक्रिया में हिस्सा लिया था, तब की ही बात क्यों न की जाए। वहीं देश के मौजूदा राष्ट्रपति बराक ओबामा के दौरान भी गलतियां साफतौर पर सामने आई थीं। वर्ष 2012 में बराक के सामने उनके प्रतिद्वंदी के तौर पर रोमनी थे।

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    ओबामा बनाम रोमनी की डिबेट

    उनका कहना है कि रोमनी बेहद स्मार्ट थे, बेहतर वक्ता भी थे, वहीं ओबामा अपने हर संबोधन में हम करेंगे, देखेंगे, मैं चाहता हूं जैसे शब्दों का प्रयोग करते थे। उनके मुताबिक ओबामा पहली डिबेट के बाद रोमनी से पीछे खिसक गए थे, लेकिन दूसरी डिबेट के बाद वह आगे आ चुके थे। इसके डिबेट के बाद उन्होंने अपने में काफी कुछ बदलाव भी किया था।

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