MCD Election 2017: केजरीवाल को भाजपा से नहीं कांग्रेस से है खतरा
यह अलग बात है कि राजौरी गार्डन में बुरी तरह घायल हो चुकी आम आदमी पार्टी अपना मुकाबला भाजपा से मान रही है।
नई दिल्ली (वीके शुक्ला)। दिल्ली नगर निगम चुनाव को लेकर गर्मा चुके माहौल के बीच लगातार हालात बदल रहे हैं, जिससे चुनाव जीतने की मुहिम में लगे रणनीतिकारों के चेहरे पर तनाव है।
किस बिरादरी को या किस मतदाता को किस तरह अपने समर्थन में लाना है इसकी जोड़तोड़ जारी है। यहां तक कि माहौल बनाने के लिए दूसरे दलों के नेताओं को शामिल कराने के लिए शह-मात का खेल चल रहा है।
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इसी बीच राजनीतिक समीकरण को लेकर भी दलों की समीक्षा हो रही है कि किस दल का वोट उन्हें मिलता है तो लाभ अधिक होगा या फिर उनका वोट कटने से किसे लाभ होगा? इसी सब के बीच भाजपा इस जुगत में है कि उसका वोट फीसद किसी भी तरह कम ना हो बल्कि बढ़े, जबकि कांग्रेस अपनी जड़ें जमाने की कोशिश में है।
राजौरा गार्डन उप चुनाव में उसे मनमाफिक सफलता नहीं मिली है। हालांकि उसे वोट फीसद बढ़ने से राहत जरूर मिली है। अब अगर आम आदमी पार्टी की बात करें तो राजौरी गार्डन में बुरी तरह घायल हो चुकी आप अपना मुकाबला भाजपा से मान रही है। जाहिर है कि उसे खतरा भाजपा से हीे होना चाहिए। मगर आप भाजपा को लेकर नहीं, कांग्रेस को लेकर चिंतित है।
क्या कहते हैं समीकरण
2012 के बाद दिल्ली की राजनीतिक स्थिति का आकलन करें तो 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोटिंग फीसद 24.55 फीसद रहा था। जबकि भाजपा का वोटिंग फीसद 33.7 फीसद रहा। 12013 में पहली बार चुनावी मैदान में आई आम आदमी पार्टी को 29.49 फीसद वोट मिले।
यहां गौर करने वाली बात है कि दिल्ली में तेजी से बदले घटनाक्रम के बाद 2015 में फिर हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोटिंग फीसद 15 फीसद घट कर 9.8 फीसद रह गया। मगर भाजपा का वोटिंग फीसद इस चुनाव में बहुत कम नहीं हुआ, यानी भाजपा को 32.7 फीसद वोट मिले।
मगर आप का वोटिंग फीसद 25 फीसद बढ़ कर 54.3 फीसद रहा। इस चुनाव में कांग्रेस का वोट टूट कर आप के पास ही अधिक आया। अब राजौरी गार्डन उपचुनाव में आप का स्थिति गड़बड़ाई है। आप तीसरे स्थान पर रही है। अब इस निगम चुनाव में देखना यह है कि ऊंट किस करवट बैठता है।
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