अप्रवासी भारतीयों की सुरक्षा
अमेरिका में जालंधर व होशियारपुर के दो व्यक्तियों की हत्या ने एक बार फिर पूरे पंजाब को झकझोर दिया है। दुखद है कि इंडियाना में डिपार्टमेंटल स्टोर चलाने वाले एक व्यक्ति व उसके साथी को लुटेरों ने उस समय गोलियों से छलनी कर दिया जब वे सुबह स्टोर खोल ही रहे थे। बिना कसूर दोनों की हत्या एक बार फिर विदेशों में अप्रवासी भारतीयों, विशेषकर पंजाबियों की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा कर गई है। इस घटना ने उन हजारों परिवारों की चिंता फिर बढ़ा दी है जिनके परिजन विदेश में रहते हैं। सम्मान से रोजी-रोटी कमा रहे अप्रवासी भारतीयों के विरुद्ध हिंसा की यह कोई पहली घटना नहीं है। अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया और अन्य देशों में पंजाब से जाकर काम या पढ़ाई कर रहे लोगों पर लगातार हमले हो रहे हैं। हत्या की घटनाएं भी हो रही हैं। इससे पहले जब इस तरह की कोई घटना होती थी तो कुछ दिन तक खलबली रहती थी, पर अब तो लगता है कि सरकार को भी यह सामान्य घटनाएं लगने लगी हैं। अगर ऐसा न होता तो इन दो पंजाबियों के मारे जाने पर सरकार की ओर से कोई न कोई वक्तव्य आया होता, किसी ने शोक व्यक्त किया होता, कोई दिलासा दिया होता, न्याय दिलाने की बात कही होती, पीड़ित परिवार के साथ संवेदना जताई होती..लेकिन अफसोस कि ऐसा नहीं हुआ। विदेशों में बसे पंजाबियों की सुरक्षा कितनी है, केंद्र सरकार को न केवल यह देखना होगा बल्कि यह सुनिश्चित भी करना होगा कि इस तरह बेकसूर पंजाबी मारे न जाएं। अप्रवासी भारतीय पंजाबियों की समस्याएं समझनी होंगी और उनका समाधान करना होगा। न केवल इसलिए क्योंकि वे भारत का ही खून हैं बल्कि इसलिए भी क्योंकि इन एनआरआई पंजाबियों की पंजाब की संपन्नता में बड़ी भूमिका है। हालांकि पंजाब सरकार ने उनके आपसी व पारिवारिक विवादों को निपटाने के लिए एनआरआई थाने बनाकर कुछ हद तक प्रयास किए भी हैं। विदेशों में पंजाबियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित देशों पर दबाव बनाने की पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है लेकिन यह कहने में कोई संकोच नहीं कि अभी तक उसकी भूमिका घड़ियाली आंसू बहाने की ही अधिक रही है। हर ऐसी घटना के बाद आम पंजाबी की अपेक्षा केंद्र सरकार से यही होती है कि वह विदेशों में बसे भारतीयों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए। इस बार भी उनकी यही अपेक्षा है।
[स्थानीय संपादकीय: पंजाब]
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