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    बड़ा खतरा

    By Edited By:
    Updated: Tue, 04 Nov 2014 05:11 AM (IST)

    किशोरों में मादक पदार्थो की लत बढ़ना समाज के लिए बड़ा खतरा है। सरकार और संबंधित संस्थानों को इसे गंभी

    किशोरों में मादक पदार्थो की लत बढ़ना समाज के लिए बड़ा खतरा है। सरकार और संबंधित संस्थानों को इसे गंभीरता से लेते हुए सख्त कदम उठाने चाहिए। साथ ही उन्हें जागरूक करने की पहल भी करनी चाहिए। यह लत दिल्ली के युवाओं के लिए ही नहीं बल्कि देश के भविष्य के लिए भी खतरनाक है।

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    दुनिया के सबसे युवा देश में मादक पदार्थो की लत में फंसे किशोरों को सजग करना बेहद जरूरी है और इसके लिए बड़े-बड़े संस्थानों और सरकारों को पहल करनी होगी। हाल ही में हुए एक सर्वे में यह बात सामने आई है किशोरों में मादक पदार्थो का सेवन बढ़ रहा है। 12 से 18 वर्ष के 21 फीसद किशोर शराब के आदी हैं। ऐसे में यह बड़ा जरूरी है कि किशोरों को शुरुआत से ही शराब के नुकसान के बारे में बताया जाए। छोटे शहरों में किशोरों को शराब पीने की जगह और आपसी जान-पहचान का डर होता है लेकिन राजधानी में उसका डर भी खत्म हो जाता है इसलिए यहां के अभिभावकों को और ज्यादा सतर्क होना पड़ेगा। ऐसे में यदि बच्चों को शुरू से शराब पीने और अन्य नशों के दुष्परिणामों के बारे में बताया जाए तो इसमें सुधार किया जा सकता है। नशा किशोरों के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। अब पुराना समय नहीं रहा। बच्चे घर से बाहर निकलते हैं और काफी कुछ देखते हैं। समाज में ऐसी कई चीजें होती हैं जो उन्हें इस तरह के गलत काम करने के लिए प्रेरित करती हैं। ऐसे में अभिभावकों को और ज्यादा सावधान रहना होगा क्योंकि उन्हें ही इसके अच्छे और बुरे परिणाम भुगतने होंगे। अभिभावकों को समय-समय पर अपने बच्चों की काउंसलिंग करनी चाहिए और इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि उनका बच्चा किसी बुरी संगत में तो नहीं फंस रहा है। किसी भी तरह के खराब लक्षण दिखें तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए बल्कि उसके कारणों को जानने का प्रयास करना चाहिए। इसके अलावा सरकार को भी अपने कानूनों को सख्ती से लागू करना चाहिए। सरकार ने धूमपान के खिलाफ भी सख्त कानून बनाया लेकिन बच्चे जगह-जगह धुंए के छल्ले बनाते दिख जाते हैं। संदेश साफ है कि कानून अपना काम नहीं कर पा रहा है। इसी तरह बच्चों और किशोरों के शराब पीने पर प्रतिबंध है लेकिन चोरी-छुपे यह सब चल रहा है। इस कानून को सख्ती से लागू करने की जरूरत है।

    [स्थानीय संपादकीय: दिल्ली]