स्वागतयोग्य कदम
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन डॉक्टरों के हितों का ध्यान तो रखता ही है लेकिन मरीजों के इलाज की पहल कर संगठन
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन डॉक्टरों के हितों का ध्यान तो रखता ही है लेकिन मरीजों के इलाज की पहल कर संगठन ने निश्चित रूप से स्वागतयोग्य कदम उठाया है। संगठन की ओर से जल्दी ही ऐसी व्यवस्था की जा रही है जिसमें डॉक्टर एसोसिएशन के मुख्यालय में मरीजों का मुफ्त इलाज करेंगे। राजधानी में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी नहीं है। यहां पर 38 सरकारी अस्पताल संचालित किए जा रहे हैं जबकि सैकड़ों की संख्या में निजी अस्पताल व नर्सिग होम में भी मरीजों का इलाज किया जाता है। इसके बावजूद दिल्ली में अस्पतालों का बुरा हाल है। सही बात तो यह है कि दिल्ली के अस्पताल मरीजों के बोझ से दबे हुए हैं। दिल्ली के अलावा देश भर से मरीज यहां के अस्पतालों में इलाज के लिए आते हैं। लिहाजा, स्थिति यह होती है कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों की लंबी-लंबी कतारें लगती हैं। आपातकालीन वार्डो में एक-एक बेड पर तीन-तीन मरीजों को रखा जाता है।
शहर में मौजूद निजी अस्पतालों में आम आदमी के लिए इलाज कराना इसलिए मुश्किल है क्योंकि वहां खर्च बहुत है। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए आरक्षित सीटों पर या तो गरीबों का इलाज करने में निजी अस्पताल आनाकानी करते हैं अथवा गरीबों के नाम पर अन्य लोगों का इलाज हो जाता है। ऐसे माहौल में यदि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा मरीजों का मुफ्त इलाज करने की पहल की जा रही है तो इसकी तारीफ जरूर की जानी चाहिए। इस संगठन से तमाम डॉक्टर जुड़े हैं। ऐसे में यदि गरीब मरीजों को उनकी सलाह नि:शुल्क मिल जाती है तो इससे अच्छी कोई बात नहीं हो सकती। एसोसिएशन की ओर से आगामी जनवरी में इलाज की यह सुविधा शुरू किए जाने की उम्मीद जताई जा रही है। जरूरत तो इस बात की है कि ऐसी सुविधाएं जल्दी से जल्दी शुरू की जाएं।
दिल्ली के सामने एक बड़ा संकट यह भी है कि पड़ोसी राज्यों के मरीज बहुत बड़ी संख्या में इलाज के लिए यहां आते हैं। दूसरी ओर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान है जहां देश भर के मरीज आते हैं। लिहाजा, जरूरत तो इस बात की है कि पूरे देश में चिकित्सा की बेहतर व्यवस्था की जाए और जिस प्रकार दिल्ली में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मरीजों की मुफ्त चिकित्सा की बात की है, उसी तर्ज पर उसे देश भर में ऐसी सुविधा देनी चाहिए। गरीब मरीजों के इलाज में एसोसिएशन की ऐसी पहल बेहद मददगार साबित हो सकती है।
[स्थानीय संपादकीय: दिल्ली]