पने रुग्ण शरीर का इलाज न करने या करवाने वाले को दुनिया-समाज आलसी और निकम्मा जैसी उपमाओं से नवाजते है। कोई भी अंग अगर सही काम नहीं करेगा तो शरीर की उत्पादकता तो प्रभावित ही होगी, किसी भी समय बड़ी अनहोनी की आशंका भी बरकरार रहेगी। भारत की धरती भी ऐसे ही कुछ आंतरिक मतभेदों, संघर्षों, के चलते रुग्ण हो चली है जो उसके आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास क्रम के आड़े आती है।

हाल में बांग्लादेश से ऐतिहासिक सीमा समझौते के बाद देश की यह रुग्णता खत्म करने की दिशा में मोदी सरकार ने एक और प्रभावशाली कदम उठाया। तीन अगस्त को केंद्र सरकार ने छह दशक से चले आ रहे नगालैंड में सशस्त्र संघर्ष के खात्मे की दिशा में एक नई इबारत लिख दी। दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति और देश के विकास का जज्बा हो तो क्या नहीं किया जा सकता। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में नगालैंड के प्रमुख अलगाववादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन-आइएम) से सरकार ने समझौते पर मुहर लगाई। अब पूर्वोत्तर का यह अलगाववादी संगठन भारतीय संविधान की रीति-नीति से खुद को संबद्ध कर चुका है। यह कदम पूरे पूर्वोत्तर को भारत की मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में अहम माना जा रहा है।

नुपम प्राकृतिक छटा और प्रचुर संसाधनों वाला पूर्वोत्तर सेवेन सिस्टर्स राज्यों और सिक्किम को मिलाकर बना हुआ है। इन राज्यों में अपार संभावनाएं हैं। खुद के विकास के साथ ये देश की आर्थिक गति तेज करने के इंजन साबित हो सकते हैं, लेकिन राजनीतिक हीलाहवाली ने आज तक इन राज्यों को उनका हक नहीं दिलाया। ऐसे में अलगाववादी संगठन से केंद्र सरकार के इस ऐतिहासिक समझौते के निहितार्थों की पड़ताल आज हम सबके लिए बड़ा मुद्दा है।

3.88 करोड़ जनसंख्या (देश की 3.1 फीसद करीब ओडिशा के बराबर)

2,62,230 वर्ग किमी क्षेत्रफल (देश का आठ फीसद, महाराष्ट्र का करीब तीन चौथाई)

148 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी जनसंख्या घनत्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

पूर्वोत्तर के साथ मेरा संबंध बहुत गहरा रहा है। मैंने कई अवसरों पर नगालैंड की यात्रा की है। मैं नगा लोगों के समृद्ध एवं विविध संस्कृति तथा जीने की अनोखी शैली से काफी प्रभावित रहा हूं। यह न केवल हमारे देश बल्कि दुनिया को भी एक अधिक खूबसूरत जगह बनाती है।

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नगाओं का साहस और प्रतिबद्धता प्रसिद्ध रही है। इसके साथ-साथ, वे मानवता के उच्चतम स्तरों का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। ग्राम प्रशासन एवं जमीनी स्तर के लोकतंत्र की उनकी प्रणाली शेष भारत के लिए एक प्रेरणा होनी चाहिए।

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आज हम समस्या के अंत का नहीं बल्कि नए भविष्य की शुरुआत का प्रतीक मना रहे हैं। हम न केवल घाव को भरने और समस्याओं को हल करने का काम करेंगे बल्कि आपके गौरव और सम्मान की स्थापना में सहयोगी होंगे।

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आज नगालैंड के नेताओं और जनता के लिए मैं कहता हूं, ‘आप न केवल नगालैंड का चमकता भविष्य बनाएंगे बल्कि आपकी प्रतिभा, परंपरा और आपका प्रयास देश को मजबूत, अधिक सुरक्षित, अधिक समावेशी तथा समृद्ध बनाने में योगदान करेंगे। आप हमारी पूर्वी सीमा के अभिभावक हैं और विश्व के लिए मुख्य द्वार हैं।

(तीन अगस्त को हुए समझौते पर दिया वक्तव्य)

जनमत

क्या नगा विद्रोही संगठन से समझौता देश की मुख्यधारा में पूर्वोत्तर की वापसी का संकेत है?

हां 90%

नहीं 10%

क्या पूर्वोत्तर में अशांति राष्ट्रीय विकास और उत्पादकता में बाधक साबित हो रही है?

हां 85%

नहीं 15%

आपकी आवाज

सरकार का निर्णय स्वागत योग्य है। विकास भी सुशासन की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रयास है। -रामदास मिश्रा

हां, यह एक अच्छी पहल है। इससे पूर्वोत्तर देश की मुख्य धारा से सीधे जुड़ेगा। जिससे वहां कल्याणकारी योजनाएं सुचारु रूप से चलाई जा सकेंगी। -हर्षित त्रिपाठी

अशांति और हिंसा राष्ट्रीय राष्ट्रीय विकास और उत्पादन में सबसे बड़ा रोड़ा होते हैं। -राजेश चौहान

अशांति और हिंसा हमेशा और सब तरह से देश के लिए हानिकारक रही है। चाहे पूर्वोत्तर की हो या देश के अन्य भागों की। अशांति और हिंसा ग्रसित राज्य अपना विकास नहीं कर सकता। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि पूर्वोत्तर में फैली अशांति देश के राष्ट्रीय विकास में बाधक है।-विनीत कुमार कश्यप

हां, पूर्वोत्तर में अशांति के कारण राष्ट्रीय विकास और उत्पादकता में काफी रुकावट आ रही है। इससे देश का यह हिस्सा पिछड़ रहा है।-विवेक विश्वकर्मा

चुनावों की चुनौती