साख

लाट साहब यानी गवर्नर या राज्यपाल। संविधान निर्माताओं की सोच के अनुसार राज्य में संघ का प्रतिनिधि। केंद्र और राच्य के संबंधों में संतुलन साधने वाला एक सेतु। देश, काल और परिस्थितियों के अनुसार भारत के इन 'लाट साहबों' की भूमिका भी बदली। राजनीति में कभी कांग्रेस पार्टी के एकाधिकार के वक्त जिस राच्यपाल पद को लेकर लोगों में कोई कौतूहल नहीं रहता था, बहुदलीय राजनीति के अस्तित्व में आने के बाद वह न केवल विवादित हो गया बल्कि आकर्षण और अदृश्य सत्ता का एक बड़ा केंद्र बनकर उभरा। केंद्र की सत्तासीन सरकारें अपने रीति-नीति से जुड़े लोगों को इस पर बैठाकर न केवल अपना राजनीतिक हित साधने लगीं बल्कि इन्हें अब केंद्र के एजेंट के रूप में परिभाषित किया जाने लगा।

सवाल

एक महान, गौरवमयी, संवैधानिक संस्था अपने नकारात्मक भूमिकाओं के कारण लगातार गरिमाहीन अप्रतिष्ठित, राजनीतिक बनने लगी। संसद, विधानमंडलों, सार्वजनिक मंच, सेमिनार आदि में उसकी भ‌र्त्सना की जाने लगी। उसकी उपयोगिता पर औचित्य का सवाल दागा जाने लगा। इस संवैधानिक पद की निरंतरता पर भी सवाल खड़े किए जाने लगे। संविधान निर्माताओं की आशाओं के धूमिल होने, नियुक्ति, विवेकाधिकार का पक्षपाती उपयोग, राष्ट्रपति शासन में विवादित भूमिका, अभिभाषण संबंधी विवादों, विपक्ष के साथ तनावपूर्ण संबंध, केंद्र-राच्य संबंधों के संदर्भ में असंतुलित भूमिका, बर्खास्तगी, स्थानांतरण, राजनीतिक सक्रियता, कुलाधिपति के रूप में विवादस्पद भूमिकाओं संबंधी उठने वाले अनेक प्रश्नों के कारण इस पद के औचित्यत पर प्रश्न उठना स्वाभाविक है। हाल ही में धोखाधड़ी मामले में मिजोरम की राच्यपाल कमला बेनीवाल को केंद्र सरकार द्वारा बर्खास्त किए जाने के बाद इस पद को लेकर सुलग रहे तमाम सवालों को मानों ऑक्सीजन मिल गई है।

सोच

राच्यपाल पद को लेकर खड़े हुए सवालों के समाधान में ही इस पद की सार्थकता निहित है। आखिर संविधान में इस पद के सृजन का प्रावधान अकारण तो नहीं ही कहा जाएगा। इस पद को लेकर समय के साथ आई विकृतियों का समाधान भी तलाशा जा सकता है और इस पद के ही औचित्य पर सवाल उठाने वालों को भी संतुष्ट किया जा सकता है। जरूरत बस, दृढ़ इच्छाशक्ति और राजनीतिक एकजुटता की है। आज जो विपक्ष में हैं वे राच्यपाल की खामियां गिनाते हैं, कल जब यही सत्तासीन होते हैं तो उन्हें खूबियां नजर आने लगती हैं। ऐसा भी नहीं है कि राच्यपाल सिर्फ नकारात्मक भूमिका ही निभाते हैं। अच्छे योग्य व्यक्ति की सृजनात्मक भूमिकाओं को खारिज नहीं किया जा सकता। वे राच्य के विकास में मंत्रिमंडल के साथ कदम बढ़ाते हैं। ऐसे में इस पद की खूबियों और खामियों की पड़ताल आज हम सबके लिए बड़ा मुद्दा है।

अहम फैसला

2004 में संप्रग सरकार के सत्ता में आने के बाद पूर्ववर्ती राजग सरकार द्वारा नियुक्त कई राच्यपालों को उनका कार्यकाल पूरा होने से पहले ही हटा दिया गया था। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने मई 2010 में दिए अपने फैसले में कहा कि राच्यपाल केंद्र सरकार के कर्मचारी नहीं होते। इसलिए सत्ता बदलने के साथ उनको मनमाने तरीके से नहीं बदला जा सकता। उनको बदले जाने के पर्याप्त कारण होने चाहिए।

राष्ट्रपति को पाक्षिक रिपोर्ट भेजने के सिवा मेरे पास जनता से जुड़ा कोई काम करने को नहीं रहता है। -बी पट्टाभि सीतारमैया [1956 में मध्य प्रदेश के राच्यपाल रहने के दौरान अपने दायित्वों पर जताई निराशा]

मैं सोने के पिंजड़े में बंद एक चिड़िया की तरह हूं। -सरोजनी नायडू [1947-49 के दौरान उत्तार प्रदेश की राच्यपाल रहीं नायडू ने जताई बेबसी]

जनमत

क्या मौजूदा सांविधानिक ढांचे में राच्यपाल का पद वाकई जरूरी या उपयोगी है?

हां 35 फीसद

नहीं 65 फीसद

क्या राच्यपाल वास्तव में संविधान के कस्टोडियन की भूमिका का निर्वाह करते हैं?

हां 36 फीसद

नहीं 64 फीसद

आपकी आवाज

ये पद बिल्कुल उपयोगी नहीं है क्योंकि राच्यपाल का पद राजनीति से प्रेरित है। वो उसी की सुनेगा जिसकी सरकार है न कि देश की। ये पद कहीं न कहीं भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा देता है। -अनिल कुमार सिंह

मुझे तो नहीं लगता क्योंकि ये ऐसा पद है जो हमारे देश के लिए कोई मायने नहीं रखता क्योंकि उसका काम सिर्फ एक तरह से मंजूरी देने तक ही सीमित है। -अश्विनी सिंह

राच्यपाल, राष्ट्रपति व केंद्रीय सरकार का प्रतिनिधि होता है। संघीय शासन व्यवस्था में उसका महत्वपूर्ण स्थान है। निश्चित ही वह संविधान की आत्मा की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है। -मनीषा श्रीवास्तव

राच्यपाल द्वारा केंद्र सरकार राच्यों पर नियंत्रण चाहती है। इनकी नियुक्ति में कायदा कानून न होने के कारण केंद्र सरकार अपने लोगों को उपकृत करती हैं। ऐसे बने राच्यपाल निष्पक्ष कैसे रह सकते हैं। -सगीर बच्मी जीमेल.कॉम

सांविधानिक ढांचे में राच्यपाल पद कभी जरूरी था ही नहीं। कांग्रेस का मकसद अपने हाथों से निकले राच्यों पर राच्यपाल द्वारा शासन करना था -परवेज अंसारी.विकी अहमद जीमेल.कॉम

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