संस्था

न्यायपालिका। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का सबसे मजबूत खंभा। जब-जब जनहित से जुड़े मुद्दों पर लोकतंत्र के अन्य स्तंभों कार्यपालिका या विधायिका द्वारा कुठाराघात किया गया तो न्यायपालिका ने ही आगे बढ़कर हस्तक्षेप करते हुए जनमानस के भरोसे को कायम रखा। अपने इसी जज्बे और छवि के चलते लोकतंत्र के अन्य स्तंभों की तुलना में भारतीय न्यायपालिका पर सभी नागरिकों की श्रद्धा और विश्वास दूसरों से कहीं अधिक है।

संशय

इधर-बीच न्यायपालिका पर लोगों का भरोसा दरका है। भ्रष्टाचार ने न्याय के मंदिर को भी अपना निशाना बनाया है। ताजा मामला न्यायपालिका में शीर्ष पदों पर नियुक्तियों और प्रोन्नति से जुड़ा है। एक भ्रष्ट जिला जज को राजनीतिक दबाव के चलते मद्रास हाई कोर्ट का जज बनाने के मामले का प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष जस्टिस मार्कंण्डेय काटजू द्वारा पर्दाफाश करने के बाद भूचाल आ गया है। इस मामले के प्रकाश में आने के बाद एक बार फिर जजों की नियुक्ति प्रक्रिया से संबंधित कोलेजियम तंत्र पर सवाल खड़े हो गए हैं और न्यायिक सुधारों की मांग फिर जोर पकड़ने लगी है। सरकार ने भी राष्ट्रीय न्यायिक आयोग के गठन की बात कही है।

समाधान

पिछले कुछ दशक से विधायिका और कार्यपालिका समेत कई अहम क्षेत्रों में तेजी से सुधार का दौर जारी है। न्यायिक क्षेत्र इसमें पिछड़ता हुआ प्रतीत होता है। जिस तरह से सरकार ने लोकतंत्र के तमाम अंगों-उपांगों एवं उनके तंत्रों को कसने और सुधारने में दृढ़ इच्छाशक्ति और जिजीविषा दिखाई है, न्यायपालिका के तमाम लंबित सुधारों के लिए भी सख्त और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत महसूस की जा रही है। इसके तहत न्यायिक क्षेत्र में जजों, अदालतों और जरूरी संसाधनों के अलावा शीर्ष पदों की नियुक्ति और प्रोन्न्ति मामले भी शामिल हैं। हालांकि न्यायिक क्षेत्र में नियुक्तियों और प्रोन्नति को लेकर प्रस्तावित न्यायिक सुधार आयोग को सरकार शीघ्र अमलीजामा पहनाने का मन बना चुकी है, लेकिन सबकुछ उस आयोग के प्रभावी और सकारात्मक नतीजों पर निर्भर करेगा। ऐसे में ताजा मामले के आलोक में न्यायपालिका के शीर्ष पदों की नियुक्तियों और प्रोन्नति की पारदर्शी व्यवस्था की पड़ताल आज हम सबके लिए बड़ा मुद्दा है।

जनमत

क्या जजों की नियुक्ति और प्रोन्नति में राजनीतिक प्रभाव-दबाव का इस्तेमाल किया जाता है?

हां 94 फीसद

नहीं 6 फीसद

क्या देश में जजों की नियुक्ति- प्रोन्नति प्रक्रिया पूरी तरह से निष्पक्ष और निष्कलंक है?

हां 26 फीसद

नहीं 74 फीसद

आपकी आवाज

यह बहुत ही दुर्भाग्य की बात है, कि जजों की नियुक्ति और प्रोन्नति में राजनीतिक इस्तेमाल हो रहा है। भारतीय न्याय पालिका मे राजनीतिक हस्तक्षेप बंद होना चाहिए। -अफाक खान

राजनीतिक दबाव का प्रयोग किया जाता है, जिससे वे अपने को निर्दोष साबित कर सके। इसलिए ऐसे लोगों को प्रोन्नत किया जाता है। -अश्विनी सिंह

आज कल राजनीति से कोई भी अछूता नहीं रह गया जजो पर जिस तरह से आरोप लग रहे है इससे साफ़ है कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ होती है, आग लगती है तो धुआं भी निकलता है। -रामकिशनयादव 2015@जीमेल.कॉम

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