सीसैट का फार्मेट
व्यवस्था देश के आला प्रशासनिक पदों की नियुक्तियों पर देसी मुलम्मा चढ़ाने की स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जिस मांग और दबाव के क्रमिक विकास के रूप में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) अस्तित्व में आया, वर्तमान हालात उस भावना का मखौल उड़ाते हुए दिखते हैं। यह विद्रूप कई रूपों में दिख रहा है। सिविल सेवा जैसी उच्च स्तरीय परीक्षा प्रणाली की खाि
व्यवस्था
देश के आला प्रशासनिक पदों की नियुक्तियों पर देसी मुलम्मा चढ़ाने की स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जिस मांग और दबाव के क्रमिक विकास के रूप में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) अस्तित्व में आया, वर्तमान हालात उस भावना का मखौल उड़ाते हुए दिखते हैं। यह विद्रूप कई रूपों में दिख रहा है। सिविल सेवा जैसी उच्च स्तरीय परीक्षा प्रणाली की खामियां, भारतीय शिक्षा प्रणाली की कमजोरियां, हिंदी सहित तमाम भारतीय भाषाओं की बेबसी, प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों का प्रदर्शन और हिंसा भरा रवैया। यह सही है कि संघ लोक सेवा आयोग द्वारा संचालित सिविल सेवा की परीक्षा में सीसैट प्रणाली अंग्रेजी माध्यम के छात्रों के लिए ज्यादा मुफीद साबित हो रही है। लिहाजा हिंदी के छात्रों की सफलता दर निम्नतम हो रही है। इस आलोक में इसे अंग्रेजी बनाम हिंदी सहित अन्य भारतीय भाषाओं की लड़ाई की तरह पेश किया जाना कहां तक तर्कसंगत है।
व्यथा हिंदी हमारी राष्ट्र-राज भाषा है लेकिन आज प्रशासनिक मामलों में अंग्रेजी ही व्यवहृत है। इसके साथ ही सिविल सेवाओं में जिनका चयन होता है या फिर होना चाहिए, उन्हें अंग्रेजी का ज्ञान होना ही चाहिए। इसके बिना भविष्य में उन्हें अपने कार्यदायित्व को सफलतापूर्वक निपटाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। तीसरी बात यह है कि वर्तमान युग को अगर संचार का स्वर्णयुग कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। ऐसे में एक जिम्मेदार पद के परीक्षार्थियों का यह हुड़दंग, आंदोलन कितना जायज है। सरकार तक अपनी बात रखने के लिए आज उनके पास कई विकल्प हैं।
विद्रूप
भाषा तो केवल अभिव्यक्ति का माध्यम भर होती है। उसके आधार पर ज्ञान और कौशल को नहीं मापा जा सकता। मर्ज कुछ और है और दवा कोई और मर्ज समझकर दी जा रही है। असल समस्या है हमारी शिक्षा प्रणाली। हम क्यों नहीं हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओं के माध्यम से पढ़ाई करने वाले छात्रों को अंग्रेजी माध्यम छात्रों जैसा बना पा रहे हैं? सरकार हिंदीभाषी या अन्य भाषा भाषी छात्रों के लिए ऐसा पाठ्यक्रम या शिक्षा प्रणाली तैयार करे जिससे कि वे अंग्रेजी भाषी छात्रों जितने ही सक्षम हो सकें और अपने साथ अन्याय नहीं महसूस करें। आखिर परीक्षा में सवाल हिंदी और अंग्रेजी दोनों रूपों में लिखा आता है। रही बात अनुवाद सहित अन्य विसंगतियों की, तो उसे दुरुस्त करने के लिए सरकार को अविलंब एक संतुलित कदम उठाना चाहिए। ऐसे में यूपीएससी की सीसैट परीक्षा प्रणाली पर मचे घमासान के आलोक में खड़े हुए अहम प्रश्नों की पड़ताल आज हम सबके लिए बड़ा मुद्दा है।
जनमत
क्या सिविल सेवा परीक्षा का सीसैट प्रारूप संविधान द्वारा प्रदत्त सभी को समान अवसर उपलब्ध कराने के अधिकार का उल्लंघन करता है?
हां 92 फीसद
नहीं 8 फीसद
क्या सिविल सेवा परीक्षा का सीसैट प्रारूप ग्रामीण और शहरी परिवेश के छात्रों में अंतर करता है?
हां 79 फीसद
नहीं 21 फीसद
सीसैट प्रारूप हिंदी या क्षेत्रीय भाषाओं के माध्यम वाले छात्रों को निष्कासित और अंग्रेजी माध्यम के छात्रों को वरीयता देता है। -इरा श्रीवास्तव
सीसैट प्रारूप के विरुद्ध छात्रों का प्रदर्शन संविधान द्वारा प्रदत्त सभी को समान अवसर उपलब्ध कराने के उल्लंघन का उदाहरण है। -अवेंद्रसिंह3@जीमेल.कॉम
यह यूपीएससी की अंग्रेजी परस्त मानसिकता का परिचायक है। -अंकुर002175@जीमेल.कॉम
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