प्रोजेक्ट

डिजिटल इंडिया। मोदी सरकार का एक ऐसा महत्वाकांक्षी छतरी कार्यक्रम जिसके माध्यम से देश के प्रत्येक नागरिक का डिजिटल सशक्तीकरण किए जाने की योजना है। हर गांव, कस्बा, पंचायत और शहर को ब्राडब्रैंड इंटरनेट कनेक्शन से जोड़ने की मुहिम। प्रत्येक आदमी के हाथ में स्मार्ट फोन थमाने की कोशिश जो इस परियोजना के डिलीवरी प्रणाली का आधार बनेगा। 1.13 लाख करोड़ रुपये की इस महत्वाकांक्षी योजना के मूर्त रूप लेने के बाद देश का कोई भी नागरिक कहीं से भी किसी प्रकार की सरकारी सेवा बड़ी सहजता से ले सकेगा। बहुआयामी उद्देश्यों की पूर्ति करने वाली इस योजना से देश की पूरी कार्य-संस्कृति बदलने का इरादा है। तकनीक के सहारे लोगों के भविष्य को तराशते हुए देश की अर्थव्यवस्था को तेज करना भी इसके निहितार्थो में से एक है।

रिजेक्ट

आज कोई भी एक छोटा सा काम कराना हो, तो समझिए आपका पूरा दिन खराब होना ही है। बैंक में पासबुक इंट्री करानी हो, तो वहां जाकर लाइन में लगना पड़ता है। बैंक बाबू के ऊपर काम का कृत्रिम बोझ आपको आतंकित कर सकता है। काम के दौरान बात-बात पर देसी सास की तरह उनका तुनकना हर पल मनोरथ की पूर्ति के प्रति आपको सशंकित किए रहा। बारी आने पर आप खुद को अतिरिक्त विनम्रता दिखाने से न चाहते हुए भी रोक नहीं पाए। इन घंटों न सही, मिनटों में आपके मन-मस्तिष्क पर जो दबाव कायम रहा, उसका हर्जाना कौन देगा। यह केवल एक सरकारी दफ्तर का वाकया नहीं हैं, बानगी भर है। शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात, नगर निगम जैसे किसी भी रोजमर्रा के काम वाले विभागों में यही दबाव कायम है। तमाम पारदर्शी उपायों के बावजूद भ्रष्टाचार का इकबाल बुलंद है। आपके लाइन में खड़े रहने के दौरान ही तमाम अघोषित अनैतिक काम निपटा दिए जाते हैं। आम आदमी चुपचाप, मूकदर्शक बने रहने को अभिशप्त है। ऐसी कार्य-संस्कृति को कौन नहीं खारिज करना चाहेगा।

सब्जेक्ट

विश्व पटल पर अपनी एक मुकम्मल पहचान बनाने के लिए अन्य पक्षों के अलावा किसी भी देश की संस्कृति और कार्य-संस्कृति का अहम योगदान होता है। भारतीय संस्कृति का जलवा-जलाल दुनिया के सभी मुल्कों पर तारी है। इस मजबूत संस्कृति का क्षरण हमने नहीं होने दिया है, लेकिन यहां की कार्य-संस्कृति को लेकर विश्वबैंक से लेकर तमाम अंतरराष्ट्रीय मंच बखूबी वाकिफ हैं। उन्हें पता है कि किसी निर्माण कार्य की अगर आपको अनुमति लेनी हो तो औसतन 196 दिन यानी छह महीने से अधिक का समय लग सकता है। ऐसे में मोदी सरकार द्वारा आम आदमी के डिजिटल सशक्तीकरण और देश की कार्य-संस्कृति के कायाकल्प को लेकर शुरू की गई इस पहल की पड़ताल आज हम सबके लिए बड़ा मुद्दा है।

जनमत

क्या सरकार के प्रस्तावित डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट से आम आदमी को हर सरकारी सेवा लेने में आसानी होगी?

हां 87 फीसद

नहीं 13 फीसद

क्या हर जरूरत बस एक क्लिक से आनलाइन पूरी करके लोगों की सेवा से जुड़ी सरकारी कार्यालयों की बड़ी विसंगति दूर की जा सकती है?

हां 38 फीसद

नहीं 62 फीसद

आपकी आवाज

जब एक क्लिक में हमारी जरूरतें पूरी होने लगेगी तब सरकारी कार्यालयों में बैठे ऐसे बाबू लोग जो केवल फाइलों का ढेर लगाने में माहिर हैं, निश्चय ही अपनी सोच बदलने को मजबूर होंगे। आशा है डिजिटल इंडिया कार्यक्रम इन विसंगतियों को दूर करने में क्रांतिकारी भूमिका अदा करेगा। -संजयरईस@जीमेल.कॉम

डिजिटल इंडिया ही एक मात्र रास्ता है, जिसके माध्यम से इंडिया को डेवलप किया जा सकता है। आधुनिकता के दौर में हमारा आगे बढ़ना बेहद आवश्यक है। यह कदम इस दिशा में सार्थक सिद्ध होगा। -रश्मि456राय@जीमेल.कॉम

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