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उमर खालिद ने उगला जहर, आतंकी बुरहान वानी को बताया क्रांतिकारी, JNU मेंं उबाल

जेएनयू विवाद से सुर्खियों में आए उमर खालिद ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर में हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने को लेकर जहर उगला है।

By Amit MishraEdited By: Published: Sun, 10 Jul 2016 08:21 PM (IST)Updated: Mon, 11 Jul 2016 10:43 AM (IST)

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। हिजबुल मुजाहिद्दीन के पोस्टर ब्वॉय बुरहान वानी के मारे जाने के बाद जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) मेंं एक बार फिर माहौल गरमा गया है। देशद्रोह के आरोपी जेएनयू छात्र उमर खालिद तथा छात्रसंघ की उपाध्यक्ष शेहला राशिद ने बुरहान के समर्थन मेंं अपने फेसबुक पर पोस्ट लिखा है। जेएनयू के कई छात्रोंं ने इस पर आपत्ति जताई है और इसकी निंदा की है। सोशल मीडिया पर भी लोगोंं ने इसकी जमकर निंदा की है।

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उमर खालिद ने बुरहान की हिमायत करते हुए उसे वामपथी क्रांतिकारी चे ग्वेरा जैसा बताया है और उसे शहीद साबित करने की कोशिश की है। उसने लिखा है, 'चे ग्वेरा ने कहा था कि अगर मैंं मारा भी जाऊं तो मुझे तब तक फर्क नहींं पड़ेगा, जब तक कोई और मेरी बंदूक उठाकर गोलियांं चलाता रहेगा। शायद यही शब्द बुरहान वानी के भी रहे होंंगे, बुरहान मौत से नहींं डरता था, वो ऐसी जिंदगी से डरता था जो बंदिश मेंं जी जाए, उसने इसका विरोध किया'। ये लिखने के बाद फेसबुक पर उमर की जबरदस्त आलोचना हुई। जिसके बाद उसने अपना पोस्ट हटा लिया।

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शेहला राशिद ने कहा है, 'न्याय और कानून के सभी तंत्रो को दरकिनार करते हुए यह हत्या की गई है। बुरहान का मारा जाना केंंद्र और राज्य सरकार की विफलता है। यहां पर युवाओंं को आत्मसमर्पण और मुख्यधारा मेंं लाने के लिए सरकार के पास कोई ठोस नीति नहींं है'। अभी तक इस मुद्दे पर जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने चुप्पी साधी है। कई लोगोंं ने फेसबुक पर लिखा है कि उमर देशद्रोहियोंं का तुम जिस तरह से समर्थन कर रहे हो, उससे हमेंं कोई सहानुभूति नहींं है। जो इस देश ने तुमको दिया है, उसे तुम वापस करो।

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जेएनयू छात्रसंघ के संयुक्त सचिव और एबीवीपी के कार्यकर्ता सौरभ कुमार का कहना है कि देश के खिलाफ षड्यंत्र रचने वाले ये वही लोग हैंं जो आज बुरहान का समर्थन कर रहे है। हम जेएनयू प्रशासन और सरकार से मांग करते है कि इन छात्रोंं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

उमर खालिद के आतंकवादी बुरहान वानी के समर्थन मेंं दिए गए बयान से यह सिद्ध होता है कि इन लोगोंं का आतंकवादियो से कितना गहरा रिश्ता है, हमदर्दी है। यह भी साबित होता है कि 9 फरवरी को जेएनयू मेंं कश्मीर घाटी से बुलाए गए लोगोंं से उमर खालिद और उसके साथियो के संबंध है। इनका हश्र भी वही होना चाहिए जो एक आतंकवादी का होता है।

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सौरभ ने कहा, जेएनयू मेंं एक गिरोह काम कर रहा है, जिसमें कुछ वामपंथी विचारधारा के प्रोफेसर भी शामिल हैंं, यह देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। मैंं दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और तमाम सुरक्षा एजेसियोंं से मांग करता हूं कि देशद्रोह के आरोपी छात्रोंं की जमानत रद कर इन्हे दोबारा जेल मेंं डाला जाए।


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