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    बह पड़ी हैं आंखें 'कितनी पीड़ा हुई होगी उसे, तड़पकर मुझे व अपनी मां को पुकारा होगा'

    By Amit MishraEdited By:
    Updated: Sun, 10 Sep 2017 06:43 PM (IST)

    बड़ी उम्मीदों के साथ स्कूल में बेटी के साथ ही बेटे का भी एडिमिशन कराया था। बेटे का नहीं उम्मीदों का कत्ल कर दिया। ...और पढ़ें

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    बह पड़ी हैं आंखें 'कितनी पीड़ा हुई होगी उसे, तड़पकर मुझे व अपनी मां को पुकारा होगा'

    गुरुग्राम [जेएनएन]। मेरे बेटे को यदि कोई थप्पड़ भी मार देता तो भी वह जवाब नहीं देता। इतना शांत स्वभाव का था। फिर क्यों उसकी हत्या कर दी गई। गला रेतने के दौरान कितनी पीड़ा हुई होगी उसे। मुझे व अपनी मां को पुकारा होगा। जब बेटा तड़प रहा था उस समय मैं उससे दूर था। घटना के बाद से यही सवाल पड़ोसियों व जानकारों से छात्र प्रद्युम्न के पिता वरुण ठाकुर कर रहे हैं। सवाल करने के साथ ही वह फफक कर रोने लगते हैं।

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    शनिवार को अपने बेटे की अंतिम यात्रा के दौरान वरुण ठाकुर कई बार बेसुध हो गए। शमशान घाट पर उनकी हालत देखकर परिजनों से लेकर रिश्तेदारों तक फफक पड़े। अंतिम यात्रा में ओरिएंट क्राफ्ट से काफी अधिकारी व कर्मचारी पहुंचे थे। सभी फफक पड़े। ठाकुर ओरिएंट क्राफ्ट में क्वालिटी मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। स्थिति यह थी कि अधिकतर लोग ठाकुर को ढांढस बंधाने की स्थिति में नहीं थे।

    कहां मिलेगी सुरक्षा 

    अपनी आंखों के आंसू को किसी तरह रोकते हुए ठाकुर जानकारों से यही कहते हुए दिखाई दिए कि स्कूल में बेटा हमेशा अव्वल रहता था। बड़ी उम्मीदों के साथ स्कूल में बेटी के साथ ही बेटे का भी एडिमिशन कराया था। बेटे का नहीं उम्मीदों का कत्ल कर दिया। स्कूल बच्चों के लिए सबसे मजबूत सुरक्षा घेरा होता है। जब स्कूल में ही हत्या हो जाए फिर कहां सुरक्षा है।

    अब किसके साथ क्रिकेट खेलूंगा

    ऑफिस से आने के बाद वरुण ठाकुर प्रतिदिन शाम में अपने बेटे के साथ क्रिकेट खेलते थे। जिस दिन देरी हो जाती थी उस दिन बेटा नाराज हो जाता था। इसका वह हमेशा ध्यान रखते थे। पढ़ाई में अव्वल था। कभी स्कूल से किसी भी प्रकार की शिकायत नहीं मिली। क्रिकेट ही नहीं कई खेलों के प्रति उसकी विशेष दिलचस्पी थी। ठाकुर रोते हुए आज भी जानकारों से सवाल कर रहे थे कि अब किसके साथ क्रिकेट खेलूंगा। जानबूझकर हार जाता था ताकि वह खुश हो जाए।

    पड़ोसियों का भी प्यारा था प्रद्युम्न

    प्रद्युम्न पड़ोसियों का भी प्यारा था। पड़ोसियों ने बताया कि स्कूल जाने के दौरान जो दिखाई देता था उसे वह बाय या हेलो अंकल जरूर कहता था। कभी किसी ने उसे गुस्से में नहीं देखा। हर किसी से हंसकर बातें करता था। श्याम कुंज में रहने वाले विनय कृष्ण कहते हैं कि पूरा परिवार ही शांत स्वभाव का है। इस घटना से सभी आहत हैं। 

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