...और इस तरह से 45 हजार करोड़ का काला धन हो गया सफेद
टोल चार्ज हटाये जाने और पेट्रोल पंपों पर पुरानी नकदी चलने की सुविधा से ढाई लाख ट्रांसपोर्टर और 40 लाख ट्रक मालिकों को बचने का रास्ता मिल गया है। ...और पढ़ें

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। नोटबंदी के दस दिनों में 45 हजार रुपये के कालेधन को सफेद करने के बाद अब ट्रांसपोर्टर अपने दोस्तों, नाते-रिश्तेदारों और व्यापारियों के पुराने नोटों सफेद करने में जुट गए हैं। यह कार्य 20-30 फीसद के कमीशन पर और शेष रकम फरवरी-मार्च में नई नकदी के रूप में लौटाने के वादे के साथ किया जा रहा है। यह तरीका आयकर अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकने के लिए अपनाया गया।
देश में ढाई लाख ट्रांसपोर्टर और 40 लाख ट्रक मालिक हैं। इनका आधे से ज्यादा लेनदेन नकदी में होता है। इसलिए आठ नवंबर से लागू नोटबंदी से उन्हें झटका लगा है। लेकिन टोल चार्ज हटाये जाने और पेट्रोल पंपों पर पुरानी नकदी चलने की सुविधा से इन्हें बचने का रास्ता मिल गया है। सरकार ने 11 नवंबर तक राजमार्गों पर टोल वसूली स्थगित करने के साथ-साथ 24 नवंबर तक पेट्रोल पंपों पर पुराने नोट से भुगतान करने की छूट दी है।
नोटबंदी को लेकर केजरीवाल का पर्चा वार, 'हर मिनट का बदला लेगी जनता'
इंडियन फाउंडेशन आफ ट्रांसपोर्ट ट्रेनिंग एंड रिसर्च (आइएफटीआरटी) के अनुसार सरकार ने ये रियायतें ट्रांसपोर्ट व्यवसाय को आवश्यक सेवा मानकर दी थीं। ताकि ट्रकों की आवाजाही बनी रहे और देश में आवश्यक वस्तुओं की किल्लत पैदा न हो। लेकिन ट्रांसपोर्टर इस सुविधा का दुरुपयोग कर रहे हैं।
आइएफटीआरटी के संयोजक एसपी सिंह के अनुसार ट्रांसपोर्टरों को इन रियायतों की जरूरत नहीं थी क्योंकि वे अपना भुगतान नेट बैंकिंग (आरटीजीएस, एनईएफटी) अथवा बैंक ड्राफ्ट या चेक के माध्यम से प्राप्त करते हैं। इसी तरह नए ट्रकों की खरीद के लिए बैंकों तथा एनबीएफसी के कर्जो की ईएमआइ का भुगतान भी इलेक्ट्रॉनिक चैनल से होता है। बड़ी संख्या में पेट्रोल पंप स्थायी ग्राहकों को उधार पर डीजल देते हैं और इसके लिए आरटीजीएस और चेकों के जरिये मनी ट्रांसफर स्वीकार करते हैं।
...जब नोटबंदी के समर्थन में सड़क पर उतर आए सैकड़ों मोदी
नब्बे प्रतिशत मामलों में पेट्रोल पंप ट्रांसपोर्टरों से बैंकों के डेबिट और क्रेडिट कार्ड से भुगतान स्वीकार करते हैं। यहां तक कि ज्यादातर आरटीओ भी नेटबैंकिंग के जरिये टैक्स का भुगतान स्वीकार करते हैं। यही नहीं, इलेक्ट्रॉनिक टोल प्लाजा पर भी फास्टैग के जरिये ऑनलाइन भुगतान की सुविधा है। इस तरह बैंकों के पास ट्रांसपोर्टरों तथा ट्रक वालों का पूरा ब्यौरा है।
इसके बावजूद ट्रांसपोर्टरों का इस बात के लिए दबाव डालना कि पेट्रोल पंपों में पुराने नोट स्वीकार करने की समय सीमा को 30 नवंबर तक और बैंकों से नकदी निकासी की सीमा को पांच लाख रुपये तक बढ़ाया जाए, समझ से परे हैं। इससे तथ्य को बल मिलता है कि ट्रांसपोर्टर सरकार की दरियादिली का नाजायज फायदा उठा रहे हैं। कारोबार को पारदर्शी बनाकर परिवहन क्षेत्र में सुधार के बजाय वे उसे गैरकानूनी लेनदेन का गढ़ बनाए रखना चाहते हैं।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।