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    ...जब राजनाथ सिंह को हराने के लिए कल्याण सिंह ने बिछाई बिसात

    By Amit MishraEdited By:
    Updated: Sun, 29 Jan 2017 07:03 PM (IST)

    कल्याण सिंह ने राजनाथ सिंह को हराने के लिए शतरंज की ऐसी बिसात बिछाई जिसे राजनीति के जानकार आज भी याद करते हैं।

    ...जब राजनाथ सिंह को हराने के लिए कल्याण सिंह ने बिछाई बिसात

    गाजियाबाद [राज कौशिक]। दिल्ली से सटा गाजियाबाद यूं तो एक आम शहर जैसा ही है मगर राजनीतिक गतिविधियों के मामले में अक्सर सुर्खियों में आ जाता है। 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह के यहां से चुनाव लड़ने के कारण गाजियाबाद का नाम जहां पूरे देश में सुर्खियों में था, वहीं उस समय सपा में आए पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने राजनाथ सिंह को हराने के लिए शतरंज की ऐसी बिसात बिछाई जिसे राजनीति के जानकार आज भी याद करते हैं।

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    अक्सर होता ये है कि किसी प्रत्याशी को हराने के लिए उसी के समाज के प्रत्याशी को खड़ाकर दिया जाता है ताकि वोटों का बंटवारा हो जाए। 2009 के चुनाव में एक नई रणनीति के तहत समाजवादी पार्टी ने राजनाथ सिंह के खिलाफ अपना प्रत्याशी ही खड़ा नहीं किया। कल्याण सिंह उस समय सपा में थे और मुलायम सिंह यादव के बेहद करीब थे।

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    कल्याण सिंह ने ही मुलायम सिंह से ये दांव खिलवाया। राजनाथ सिंह के सामने कांग्रेस से पूर्व सांसद सुरेंद्र गोयल और बसपा से अमरपाल शर्मा प्रमुख प्रतिद्वंद्वी थे। सुरेंद्र गोयल इससे ठीक पहले कार्यकाल में सांसद थे और विधायक रहते हुए लोकसभा का चुनाव जीतकर सांसद बने थे। तीन बार वह नगर पालिका के चेयरमैन भी रहे। मुस्लिम इलाकों में उनकी खासी लोकप्रियता थी। कल्याण सिंह की सोच थी कि राजनाथ सिंह के खिलाफ मुस्लिम मतदाता सुरेंद्र गोयल के पक्ष में एकजुट हो जाएं और राजनाथ सिंह लोकसभा में न पहुंच पाएं। मुस्लिमों की पहली पसंद सपा ही है। उसका प्रत्याशी देखकर मुस्लिम मत बंट जाते, इसी सोच के चलते उन्होंने सपा का उम्मीदवार ही खड़ा नहीं होने दिया।

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    हालांकि उस चुनाव में चार अन्य मुस्लिम प्रत्याशी इकबाल, अजीज खान, के जैड बुखारी व अनवर अहमद भी खड़े हुए मगर चारों की स्थिति ये रही कि उन्हें मिलाकर नौ हजार वोट भी नहीं मिले। कल्याण सिंह की बिसात गहरी थी मगर भाजपा के रणनीति कारों ने इस चाल को ही मोहरा बना लिया। उन्होंने हर जगह प्रचार किया कि कल्याण सिंह और मुलायम सिंह यादव ने राजनाथ सिंह को हराने के लिए ये साजिश रची है। उसका लाभ ये हुआ कि स्वभावत: भाजपाई वैश्य समाज के वोट सुरेंद्र गोयल के बजाय राजनाथ सिंह की तरफ मुड़ गए और राजनाथ सिंह लगभग 90 हजार मतों से चुनाव जीत गए।

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