नरेंद्र कोहली को पद्मश्री, जानें- हिंदी के राष्ट्रवादी साहित्यकार के बारे में
हिंदी साहित्य में 'महाकाव्यात्मक उपन्यास' की विधा को प्रारंभ करने का श्रेय नरेंद्र कोहली को ही जाता है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। प्रख्यात साहित्यकार डॉ. नरेंद्र कोहली को सरकार ने पद्म भूषण पुरस्कार देने की घोषणा की है। कहानी, उपन्यास, नाटक और व्यंग्य सहित अन्य विधाओं में उनकी लगभग 100 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। उन्होंने इतिहास और पुराण की कहानियों को आधुनिक संदर्भों में देखा हैं और बेहतरीन रचनाएं लिखीं।
6 जनवरी 1940 को सियालकोट (अब पाकिस्तान) में जन्मे डॉ. कोहली ने दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई की और बाद में डीयू के ही पीजीडीएवी कॉलेज और मोतीलाल नेहरू कॉलेज में कार्यरत रहे। वर्ष 1995 में सेवानिवृत होने के बाद पूर्ण कालिक स्वतंत्र लेखन कर रहे है।
डॉ. कोहली की गिनती आधुनिक हिंदी साहित्य के सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में होती है। हिंदी साहित्य में महाकाव्यात्मक उपन्यास की विधा को शुरू करने का श्रेय नरेंद्र कोहली को ही जाता है। पौराणिक एव ऐतिहासिक चरित्रों की गुत्थियों को सुलझाते हुए उनके माध्यम से आधुनिक सामाज की समस्याओं एव समाधान को समाज के समक्ष प्रस्तुत करना कोहली की विशेषता है।
'महासमर' नरेंद्र कोहली का चर्चित उपन्यास है। उपन्यास की कथा मनुष्य के उस अनवरत युद्ध की कथा है, जो उसे अपने बाहरी और भीतरी शत्रुओं के साथ निरंतर करना पड़ता है । संसार में चारों ओर लोभ और स्वार्थ की शक्तियाँ संघर्षरत हैं । बाहर से अधिक उसे अपनों से लड़ना पड़ता है । लोभ ,त्रास और स्वार्थ के विरुद्ध धर्म के इस सात्विक युद्ध को नरेंद्र कोहली एक आधुनिक और मौलिक उपन्यास के रूप में प्रस्तुत करते हैं ।
डॉ. कोहली को सांस्कृतिक राष्ट्रवादी साहित्यकार कहा जाता है। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से भारतीय जीवन-शैली एव दर्शन का सम्यक परिचय कराया है। भगवान राम की कथा को भक्तिकाल की भावुकता से निकाल कर आधुनिक यथार्थ की जमीन पर खड़ा करने का श्रेय भी डॉ. कोहली को ही जाता है।
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