मुस्लिम संगठनों ने अखिलेश यादव पर लगाया वादाखिलाफी का आरोप
मुफ्ती एजाज अरशद कासमी ने कहा कि सपा-कांग्रेस गठबंधन मुसलमानों को वोटबैंक समझ रही है और उसके असली समस्याओं को सुनने के लिए तैयार नहीं है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस के साथ गठबंधन के बाद संपूर्ण मुस्लिम वोटों को हासिल करने की सपा की उम्मीदों को झटका लग सकता है। मुसलमानों के साथ अखिलेश यादव के धोखे के आरोपों के साथ कुछ मुस्लिम संगठनों ने उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा का साथ देने का आह्वान किया है।
मुत्ताहिदा मिल्ली मजलिस के बैनर तले जमा हुए विभिन्न मुस्लिम संगठनों के नेताओं ने अखिलेश यादव पर मुसलमानों के लिए 2012 के घोषणापत्र में किये 14 वायदों में एक भी नहीं पूरा करने का आरोप लगाया।
संवाददाताओं को संबोधित करते हुए देवबंद ओल्ड ब्वायज एसोसिएशन के अध्यक्ष मुफ्ती एजाज अरशद कासमी ने कहा कि सपा-कांग्रेस गठबंधन मुसलमानों को वोटबैंक समझ रही है और उसके असली समस्याओं को सुनने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि 2012 में मुसलमानों ने एकजुट होकर सपा को वोट दिया था। लेकिन बदले में उसे पांच साल में 200 दंगे मिले। उन्होंने आरोप लगाया कि मुजफ्फरनगर में जब मुसलमान दंगे का दंश झेल रहा था, तो अखिलेश यादव सैफई महोत्सव में मशगूल थे।
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एजाज अरशद कासमी ने चेतावनी दी कि सपा-कांग्रेस गठबंधन इस खुशफहमी में नहीं रहे कि उत्तरप्रदेश में मुसलमानों के पास उन्हें वोट देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उनके अनुसार उत्तरप्रदेश में मुसलमानों के पास बीएसपी के रूप में बेहतर विकल्प मौजूद है।
मायावती की पिछली सरकार की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि उस दौरान मुसलमानों को दंगे का दंश नहीं झेलना पड़ा था। वैसे उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि मुसलमानों किसी भी कीमत पर भाजपा को वोट नहीं देगा। उन्होंने अखिलेश यादव की सरकार पर नरम हिन्दुत्व की नीति पर चलने का आरोप लगाया।
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एजाज अरशद कासमी के आरोपों का समर्थन करते हुए दिल्ली के जामा मस्जिद से जुड़े हाफिज जावेद ने कहा कि उनकी कोशिश सिर्फ इतनी है कि मुसलमानों को कोई अपना बंधुआ मजदूर नहीं समझे और हमलोग उत्तरप्रदेश की जनता को यही समझाने की कोशिश करेंगे।
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