कानूनी पेंच के चलते यूपी सरकार का फैसला, अब शक्तिखंड में बनेगा कैलास भवन
भवन निर्माण के लिए गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) पर्याप्त जमीन उपलब्ध करा रहा है।
गाजियाबाद (मनीष शर्मा)। कैलास भवन अब अर्थला नहीं, इंदिरापुरम के शक्ति खंड-दो में बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री की सहमति के बाद शासन ने भविष्य में विवाद से बचने के लिए स्थान परिवर्तन का फैसला लिया। कानूनी पेंच फंसने की आशंका के साथ ही अर्थला की जमीन झील के रूप में दर्ज होने की खबर दैनिक जागरण ने 18 मई के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित की थी।
कैलास भवन के लिए मेयर आशु वर्मा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर अर्थला में जमीन की पेशकश की थी। निगम अफसरों ने इंदिरा प्रियदर्शनी पार्क के सामने की खसरा-1330 की जमीन बंजर बताते हुए 8125 वर्ग मीटर जमीन देने पर बोर्ड बैठक में मुहर लगाई थी।
प्रस्तावित खसरा संख्या-1312 की जमीन हिंडन नदी के डूब क्षेत्र, जबकि राजस्व दस्तावेजों के मुताबिक फसली वर्ष-1360 में खसरा संख्या-1330 की जमीन झील के रूप में दर्ज है। सामाजिक कार्यकर्ता सुशील राघव ने प्रशासन से स्थान चयन पर आपत्ति जताई थी।
दैनिक जागरण ने 18 मई के अंक में 'ऐसे हैं हाल
झील पर विराजेंगे कैलास' शीर्षक से खबर प्रकाशित कर जमीन की असलियत बयां कर जेएएस 1950 की धारा-132 की जमीन पर निर्माण नहीं किए जाने व राजस्व संहिता के नियम भी आड़े आने का हवाला दिया था।
सीएम ने लिया अंतिम फैसला
रातोंरात भागदौड़ कर अब इंदिरापुरम के शक्तिखंड-दो में जीडीए ने कैलास भवन के लिए जमीन मुहैया कराई है। तकरीबन 9000 वर्गमीटर जमीन मास्टर प्लान के मुताबिक सार्वजनिक या अर्द्ध सार्वजनिक प्रयोजन के लिए आरक्षित थी। सूत्रों के मुताबिक, अंतिम फैसला लेने से पहले जमीन से जुड़ी फाइल सीएम ने तलब की थी।
हज हाउस पर फजीहत से ली सीख
सपा सरकार ने जिले में हज हाउस का निर्माण कराया था। इसके बंजर और डूब क्षेत्र में बने होने की बात कहते हुए पर्यावरण कार्यकर्ता सुशील राघव समेत चार लोगों ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में याचिका दाखिल कर रखी है। हज हाउस पर एनजीटी की फटकार से सीख लेकर सरकार को भविष्य की चिंता सताने लगी।
आशु कुमार वर्मा (मेयर) का कहना है कि 36 साल के रिकॉर्ड में प्रस्तावित जमीन बंजर में दर्ज है। पुराने दस्तावेजों में जमीन के झील होने की बात कही जा रही है। इसी कारण प्रशासन ने कैलास भवन स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है। कांवड़ यात्री विश्रामस्थल यहीं बनेगा।
वहीं, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट व एसडीएम सदर प्रेम रंजन सिंह का कहना है कि पड़ताल में यह जमीन झील की निकली। इस कारण शासन की सहमति के बाद शक्तिखंड-दो में कैलास भवन बनाने के लिए जगह की पहचान की गई है। भवन निर्माण के लिए जीडीए पर्याप्त जमीन उपलब्ध करा रहा है।
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