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    नजीब को लेकर जेएनयू के छात्र अलीमुद्दीन खान ने क्या कहा...पढ़ें खबर

    By Amit MishraEdited By:
    Updated: Sun, 23 Oct 2016 09:55 PM (IST)

    अलीमुद्दीन का कहना है कि यह सच है कि नजीब पर कुछ लोगों ने हमला किया था लेकिन उसे किसी पार्टी विशेष से जोड़ना उचित नहीं है क्योकि उसे पीटने वालों में वो लोग भी शामिल हैं जो जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष के संगठन से जुड़े है।

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। नजीब अहमद 15 अक्टूबर से गुमशुदा है। आज जो लोग उससे हमदर्दी दिखा रहे हैं, वो 14 अक्टूबर को हॉस्टल में हुई मारपीट की घटना के बाद उसके खिलाफ खड़े थे। कैंपस में नजीब के लिए घड़ि़याली आंसू बहा रहे ये लोग अपनी गलती छिपाने में जुटे है।

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    असलियत यह है कि नजीब पर हुई कार्रवाई के विरोध में इन लोगों ने एक शब्द भी नहीं कहा। यह कहना है माही-मांडवी हॉस्टल के अध्यक्ष अलीमुद्दीन खान का। खान कहते है कि नजीब गुमशुदा क्या हुआ कैंपस में अल्पसंख्यको को असुरक्षित बताया जाने लगा है। ऐसा कुछ नहीं है जेएनयू में अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं और नजीब कैंपस में अपनी जमीन खो चुके एक संगठन की राजनीति का शिकार हो रहा है।

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    अलीमुद्दीन ने एक पर्चा जारी कर इस घटना के सच को उजागर करने का प्रयास किया है। उन्होंने इस पर्चे में खासतौर पर 14 अक्टूबर को हॉस्टल में हुई मारपीट की घटना के बाद जेएनयू अध्यक्ष और नजीब के साथी मोहम्मद कासिम की भूमिका और 15 अक्टूबर को उसके गुमशुदा होने के बाद बदले इनके सुरों को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।

    अलीमुद्दीन का कहना है कि यह सच है कि नजीब पर कुछ लोगों ने हमला किया था लेकिन उसे किसी पार्टी विशेष से जोड़ना उचित नहीं है क्योकि उसे पीटने वालों में वो लोग भी शामिल हैं जो जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष के संगठन से जुड़े है।

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    अलीमुद्दीन कहते हैं कि लगातार यह प्रचारित किया जा रहा है कि नजीब को इस बेदर्दी से पीटा गया कि उसका सिर फट गया था और उससे खून आ रहा था। वो कहते हैं कि करीब डेढ़ घंटे तक नजीब उनके व हॉस्टल वॉर्डन सहित 20 लोगों के साथ उस मारपीट की घटना के बाद मौजूद रहा फिर किसी और को फटा हुआ सिर व खून क्यों नहीं आया। यदि मान भी लें कि यह बात भी सच है तो उसकी ड्रेसिंग कराई गई होगी और एमएलसी की रिपोर्ट कहां है।

    पर्चे में अलीमुद्दीन ने कहा है कि नजीब ने खुद स्वीकार किया था कि उससे गलती हो गई और उसने विक्रांत को थप्पड़ मारा था। उसके साथी कासिम का तो यहां तक कहना था कि उन्हें नजीब से डर लगता है कहीं वो उसे चाकू न मार दे। सीनियर वार्डन के साथ इस घटना के बाद हुई बैठक में पहले विक्रांत व उसके साथियों पर कार्रवाई की तैयारी हुई लेकिन वहां मौजूद छात्रों ने छात्रसंघ अध्यक्ष मोहित पांडे की मौजूदगी में इसका विरोध किया। इसके बाद नजीब ने अपनी गलती खुद स्वीकार की तो उसके खिलाफ कार्रवाई हुई। आज नजीब के लिए न्याय की मांग कर रहे छात्रसंघ अध्यक्ष ने खुद वहां मौजूद अपने साथियों के साथ उस पर हुई कार्रवाई को रजामंदी दी।

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    दैनिक जागरण से बातचीत में अलीमुद्दीन ने कहा कि कैंपस में एक छात्र की गुमशुदगी को एक छात्र संगठन अपनी खोई जमीन पाने के लिए सांप्रदायिक रंग दे रहे है जबकि ऐसा नहीं है। माही-मांडवी हॉस्टल जेएनयू का एकमात्र ऐसा हॉस्टल है जहां मुस्लिम छात्रों की सबसे ज्यादा संख्या है और यहां रहने वाले हिन्दू छात्रों के साथ अक्सर वैचारिक वाद-विवाद होता है लेकिन 14 अक्टूबर की घटना को जिस सांप्रदायिक ढंग से पेश किया जा रहा है यह गलत है।

    अलीमुद्दीन कहते हैं कि माही-मांडवी हॉस्टल के छात्र खुद को इस सारे राजनीति खेल से अलग कर चुके हैं और हमारी केवल एक ही मांग है कि नजीब को वापस लाया जाए, जिसके लिए उसे खोजना होगा, कुलपति को बंधक बनाने से कुछ नहीं होगा।