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    अब आप नहीं देख पाएंगे 16 करोड़ साल पुराना डायनासोर का जीवाश्म - क्‍यों, पढ़ेंं खबर

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Wed, 27 Apr 2016 01:33 PM (IST)

    38 साल पुराने संग्रहालय में बाघ एवं तेंदुए और प्रागैतिहासिक जीवाश्मों के नमूने सहित प्राणीविज्ञान से संबंधित नमूनों का समृद्ध संग्रह था और वह खाक हो गया।

    नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी] नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री की आग से संग्रहालय में रखीं प्राकृतिक विज्ञान से संबंधित वस्तुएं व ऐतिहासिक दस्तावेज खाक हो गए हैं। यहां तक कि 16 करोड़ साल पुराने डायनासोर के जीवाश्म भी भीषण आग की चपेट में आकर राख हो गए।

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    दिल्ली: फिक्की बिल्डिंग में भीषण आग, नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम जलकर हुआ खाक

    म्यूजियम से जुड़े अधिकारी ने कबूल किया है कि नर्मदा घाटी में खोजे गए करीब 16 करोड़ साल पुराने भारतीय डायनासोर के कुछ जीवाश्म जलकर रखा हो गए हैं। अधिकारी का कहना है कि पहली मंजिल पर रखे डायनासोर के जीवाश्म बचे हैं, लेकिन बाकी जगहों पर जीवाश्म जल गए हैं।

    दुर्लभ पुस्तकें भी जलकर राख

    वन्य जीव से जुड़ी 10 हजार से ज्यादा दुर्लभ पुस्तकें भी इस आग में जल गई हैं। बताया जाता है कि म्यूजियम की स्थापना के समय ही एक रेड पांडा के प्रोटो टाइप मॉडल सहित कई जानवरों के मॉडल ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने दिए थे, लेकिन वे सभी जल गए। यही नहीं जानवरों की खालों का एक बड़ा संग्रह और दुर्लभ तस्वीरें भी आग में खाक हो गईं।

    जीवाश्मों का सबसे बड़ा संग्रह!

    दिल्ली के मध्य में स्थित छह मंजिला यह संग्रहालय सबसे बड़ा था। यहां ऐसे जीवाश्म मौजूद थे, जिनका वक्त गुजरने के साथ आधुनिक तरीके से अध्ययन किया जाता था।

    प्रथम तल पर थी प्राकृतिक इतिहास की पूरी झांकी

    संग्रहालय के प्रथम तल पर प्राकृतिक इतिहास की पूरी झांकी तैयार की गई थी। पोर्ट्रेट के जरिए वनस्पति, खनिज और पशु-पक्षियों के साथ ही जीवन की उत्पत्ति को दर्शाया गया था। वर्तमान परिवेश में मानव जीवन की शैली को दस्तावेज और शोध पत्रों के जरिए दिखाया गया। इस तल पर 1980 से पहले मृत जानवरों की खाल से बनाए गए जानवरों के नमूनों को संरक्षित किया गया था।

    इसमें सोरापॉड डायनासोर, हाथी, गैंडा, देश की विभिन्न प्रकार के पक्षी, शेर के स्ट्रक्चर को प्राकृतिक रूप में संरक्षित किया गया था। इसी तल पर जलीय जंतुओं और पक्षियों के जीवन को दर्शाया गया था।

    द्वितीय तल पर था प्राकृतिक नेटवर्क

    द्वितीय तल पर प्राकृतिक नेटवर्क को दर्शाया गया था। इसमें विश्व की प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को दर्शाया गया था। पौधों के प्राकृतिक स्वरूप के साथ ही फूड चेन, वॉटर चेन, विभिन्न पौधों के आपसी संबंध, जानवर और मनुष्य के जीवन से जुड़ी जानकारियां एवं दस्तावेज मौजूद थे। वर्तमान में पर्यावरण की समस्याएं के साथ ही नैतिक, आर्थिक एवं वैज्ञानिक तरीके से संरक्षित करने के संबंध में दस्तावेजों को प्रदर्शित किया गया था।

    तृतीय तल पर थी प्रकृति के संरक्षण से जुड़ी जानकारी

    तीसरे तल पर विशेष तौर पर प्रकृति के संरक्षण से जुड़ी जानकारी थी। घड़ियाल को लेकर चलाई जा रही योजना के अलावा कई योजनाओं के नवीन डाटा भी थे। वन्यजीव मानव जीवन के लिए क्यों जरूरी हैं, इससे जुड़ी जानकारियों के साथ कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी थे।