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लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुई दिल्ली पुलिस की दिलेरी

कैश लूट की अब तक की सबसे बड़ी रकम बरामद करने के लिए दिल्ली पुलिस का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। दिल्ली पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी ने अपने ट्विटर पर इस सबंध में मिले प्रमाण पत्र को पोस्ट करते हुए यह जानकारी दी है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sat, 02 Jan 2016 04:54 PM (IST)Updated: Sun, 03 Jan 2016 10:05 AM (IST)
लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुई दिल्ली पुलिस की दिलेरी

दिल्ली [ अरविंद कुमार द्ववेदी ]। कैश लूट की अब तक की सबसे बड़ी रकम बरामद करने के लिए दिल्ली पुलिस का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। दिल्ली पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी ने शनिवार को अपने ट्विटर पर इस सबंध में मिले प्रमाण पत्र को पोस्ट करते हुए यह जानकारी दी है।

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विशेष पुलिस आयुक्त दक्षिणी क्षेत्र आरएस कृष्णैया को लिम्का बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड के अधिकारियों ने फोन करके पूरी जानकारी ली। इसके बाद उन्होंने देश भर की अब तक की सभी बड़ी लूट के रिकॉर्ड खंगाले तो पाया कि यह सबसे बड़ी कैश रिकवरी है

क्या था मामला

पुलिस को 26 नवंबर, 2015 को शाम 5.48 बजे कॉल प्राप्त हुई थी कि ओखला मंडी के पास से कैश वैन से उसका चालक प्रदीप शुक्ला 22.50 करोड़ रुपये लेकर गाड़ी सहित फरार हो गया है। थोड़ी देर बाद यह वैन गोविंदपुरी मेट्रो स्टेशन के नीचे खड़ी मिली थी, लेकिन उसमें से रुपयों से भरे नौ बक्से गायब थे।

पुलिस ने 10 घंटे के अंदर यानि 27 नवंबर तड़के करीब तीन बजे प्रदीप शुक्ला को गिरफ्तार कर उसके कब्जे से 22 करोड़ 49 लाख 89 हजार 500 (22,49,89,500) रुपये बरामद कर लिए थे। चालक ने इस दौरान साढ़े 10 हजार रुपये शराब, मुर्गा, ऑटो का किराया, नए जूते, कपड़े व बैग खरीदने पर खर्च कर दिए थे।

प्रदीप ये रुपये पश्चिमी दिल्ली के विकासपुरी इलाके में स्थित एक्सिस बैंक की ब्रांच से निजी सिक्योरिटी कंपनी एसआईएस की कैश वैन में लेकर निकला था। उसने ये वारदात तब की जब ओखला मंडी के सामने गाड़ी में मौजूद गनमैन पेशाब करने के लिए गाड़ी से उतरा था। ये रुपये ओखला फेस-2 स्थित एसआइएस के हेडऑफिस पहुंचाए जाने थे।

टीम ने रातों रात कोटला मुबारकपुर जहां प्रदीप रहता था, छापेमारी की। वहां से मिले सुराग के आधार पर पुलिस ने ओखला फेस-3 की तमाम कंपनियों में दबिश दी। दरअसल, कैशवैन में लगी जीपीएस ने पुलिस की काफी मदद की थी। फिर सुबह ओखला फेस-3 के 214 नंबर में प्लॉट में प्रदीप को दबोचा।

सम्मानित हुई पुलिस टीम

शनिवार को पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी को यह प्रमाणपत्र दिया गया। इस केस को वर्कआउट करने के लिए दक्षिणी-पूर्वी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त मंदीप सिंह रंधावा, एडिशनल डीसीपी विजय कुमार व प्रणव तायल के नेतृत्व में एसीपी कालकाजी जसवीर सिंह, एसीपी ऑपरेशन अशोक सरोहा, ओखला इंडस्ट्रियल एरिया थाने के एसएचओ इंस्पेक्टर नरेश सोलंकी, इसी थाने के एसआइ मनमीत मलिक, गुरजीत सिंह और संजीव, हेड कांस्टेबल जितेंद्र व कांस्टेबल नरेंद्र मलिक, कालकाजी थाने के एसआइ राजेंद्र डागर व जितेंद्र मलिक, स्पेशल स्टाफ साउथ-ईस्ट के इंचार्ज इंस्पेक्टर नरेश कुमार, एसएचओ अमर कॉलोनी इंस्पेक्टर अरविंद कुमार, एसएचओ सरिता विहार मनिंदर सिंह, एएटीएस के इंस्पेक्टर मुकेश कुमार की टीम बनाई गई थी।

रकम की सुरक्षा भी थी बड़ी चुनौती
इतनी बड़ी रकम को थाने में सुरक्षित रखना भी पुलिस के लिए चुनौती थी। दरअसल, रिकवरी के बाद यह रकम केस प्रॉपर्टी हो जाती है। कोर्ट में रुपये पेश करने के बाद उसे दोबारा थाने में भेज दिया गया था। ओखला थाने में रखी इतनी बड़ी रकम की सुरक्षा के लिए चौबीसों घंटे 10 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई थी।

इसमें महिला पुलिसकर्मी भी शामिल थी। एसएचओ नरेश सोलंकी खुद भी सुरक्षा पर पूरी नजर रख रहे थे। रकम की सुरक्षा में तैनात सभी पुलिसकर्मियों को बुलेटप्रूफ जैकेट भी दी गई थी। आठ दिन तक रकम को थाने में रखने के बाद कोर्ट के आदेश पर उसे शिकायतकर्ता के हवाले किया गया था। अपनी इस उपलब्धि पर दिल्ली पुलिस ने खुशी जताई है।


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