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जानें, कैसे सियासी महासमर में BJP के दांव में फंस गई AAP व कांग्रेस

इस सियासी महासंग्राम में अब तक भाजपा ने दोनों विपक्षी दलों आप और कांग्रेस को उलझा कर रखा है। इस तरह से वह अपने रणनीति में सफल रही है। आखिर क्‍या है भाजपा की योजना।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sat, 18 Jun 2016 09:20 AM (IST)Updated: Sun, 19 Jun 2016 07:36 AM (IST)
जानें, कैसे सियासी महासमर में BJP के दांव में फंस गई AAP व कांग्रेस

नई दिल्ली [ रमेश मिश्र ] । दिल्ली के सियासी महाभारत में भाजपा के प्रहार से आप और कांग्रेस अब तक केवल बचाव और सुरक्षा की मुद्रा में ही दिखी। उनकी रणनीति भाजपा के खिलाफ अाक्रामक नहीं रही। भाजपा इस संग्राम को बहुत ही सुनियाजित ढंग से लड़ रही है। अब तक जिस तरह से भाजपा ने विपक्ष की घेराबंदी की है, उस दुर्ग को तोड़ने में ही आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने अपनी पूरा ऊर्जा केवल अपने आप को बचाने में ही लगाई है। पहले, दिल्ली में संसदीय सचिव के मामले में आप सरकार को घेरने में भाजपा सफल रही, तो उधर टैंकर घोटाले में भाजपा ने अपने एक ही तीर से दोनों दलों को निशाने पर लिया है।

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कौन सही है और कौन गलत है। सही मायने में कौन हारा और कौन जीता, यह फैसला तो जनता जनार्दन करेगी। लेकिन महासंग्राम में भाजपा के तीर आप और कांग्रेस को चुभ रहे हैं। खास बात यह है कि भाजपा के बड़े महारथी इस महासमर में प्रत्यक्ष रूप से सामने नहीं आ रहे हैं। वह केवल रणनीति बनाकर अपनी दूसरी कोर को यह युद्ध सौंप देते हैं। आप के प्रमुख सेनापति अरविंद केजरीवाल को भाजपा ने आगे बढ़ने से पूरी तरह से रोक दिया है। इस काम में वह पूरी तरह से सफल रही है।

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सक्रिय हुआ ACB, घोटाले के बजाए केजरीवाल पर नजर

उप-राज्यपाल की मंजूरी के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने वाटर टैंकर घोटाले में जांच शुरू कर दी है। एसीबी चीफ मुकेश मीणा ने कहा है कि यदि सुबूत मिले तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भी कार्रवाई करेंगे।

मीणा ने कहा है कि इस मामले से संबंधित फाइलें जहां-जहां भी रहीं सबसे पूछताछ होगी, यदि कोई रिपोर्ट रोकी गई तो उसकी पड़ताल भी होगी कि उसे क्यों रोका गया। बताा दें कि टैंकर घोटाले को लेकर विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने उप-राज्यपाल से शिकायत की थी, इसके बाद शिकायत इसी हफ्ते शिकायत एसीबी के पास भेजी गई थी। एसीबी ने शीला दीक्षित सहित 9 लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया है। वहीं भाजपा और आप दोनों दल एक-दूसरे पर पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को बचाने का भी आरोप मढ़ रहे हैं।

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आखिर केजरीवाल पर क्या है आराेप

नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता का आरोप है कि केजरीवाल सरकार ने इस मामले में तथ्य ढूंढ़ने के लिए बनाई गई समिति की रिपोर्ट को 11 महीने तक दबाए रखा। पिछले साल मध्य जुलाई में यह रिपोर्ट तैयार हो गई थी और अगस्त में मुख्यमंत्री को भी सौंपी गई थी।

इसके बावजूद रिपोर्ट को अब तक दबाकर रखा गया था। भाजपा नेता इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ में मामला दर्ज करने की मांग भी कर रहे हैं। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा है कि टैंकर को किराए लेने के मामले में कोई भी अनियमितता नहीं बरती गई, सारा मामला राजनीति से प्रेरित है।

क्या है AAP की दलील

भाजपा कह रही है कि टैंकर क्यों नहीं बंद किए गए। ये तो वैसे ही हो गया कि किसी फ्लाईओवर के बनने में कोई भ्रष्टाचार हो तो क्या फ्लाईओवर तोड़ देंगे, नहीं, जिसने घोटाला किया है उसको पकड़ें। लेकिन भाजपा कह रही है इस भरी गर्मी में टैंकर बंद करके लोगों को प्यासा मार दो। हमारा मानना है कि शीला दीक्षित को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और जो सरकारी खजाने का नुकसान हुआ है, उसे शीला दीक्षित से वसूल किया जाना चाहिए।

देश के इतिहास में पहली बार किसी सरकार ने जांच करके सुबूत इकट्ठा करके दस्तावेज सहित 125 पन्नों की रिपोर्ट तैयार करके एसीबी को भेजी है। उसमें भी भाजपा यह नहीं कह रही कि शीला दीक्षित को गिरफ्तार करो। भाजपा तो कह रही है कि अरविंद केजरीवाल पर मुकदमा दर्ज कर दो, टैंकर बंद कर दो।

कांग्रेस का पक्ष

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने वाटर टैंकर घोटाले में उन पर लगाए गए आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है। उन्होंने कहा कि टैंकरों को किराए पर लेने का का फैसला जल बोर्ड द्वारा सर्वसम्मति से लिया गया था जिसमें भारतीय जनता पार्टी और दिल्ली नगर निगम के सदस्य भी शामिल थे। यदि तब आप होती तो शायद उन्हें भी बुलाया जाता है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री ने कथित घोटाले की रिपोर्ट एसीबी को भेजे जाने के सवाल पर कहा कि इस बारे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और नजीब जंग ही बता सकते हैं।

क्या है मामला

- साल 2012 में दिल्ली में तत्कालीन शीला सरकार के समय दिल्ली जल बोर्ड ने स्टील के 385 वाटर टैंकरों को किराए पर लिया था।

- दिल्ली के ऐसे इलाके में जहां पाइप से पानी की सप्लाई नहीं होती है। ऐसे इलाकों में जल बोर्ड पानी की आपूर्ति टैंकरों के जरिए करती है।

- आरोप यह है कि टैंकरों को सप्लाई के लिए 25 से 30 रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से लिया जा सकता था, लेकिन सरकार ने 80-100 रुपए प्रति किलोमीटर में सप्लाई देने वाली कंपनी के साथ करार किया। इस तरह सरकारी खजाने को करीब 400 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च पड़ रहे हैं।


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