तिहाड़ जेल में अनपढ़ कैदी साक्षरता का पाठ पढ़ लिख रहे हैं 'मन की बात'
कैदियों का कहना है कि पढ़ाई शुरू करने के बाद उनमें आत्मविश्वास का संचार हुआ है। अब जेल से बाहर निकलने के बाद उनके पास रोजगार के कई विकल्प होंगे।
नई दिल्ली [गौतम कुमार मिश्रा]। तिहाड़ जेल में साक्षरता को लेकर चलाई जा रही मुहिम रंग ला रही है। इसे 'पढ़ो और पढ़ाओ' मुहिम का ही असर कहा जाएगा कि अब कैदी कहीं जरूरत पड़ने पर अंगूठा लगाने के बजाय हस्ताक्षर करते नजर आते हैं। अभियान से जुड़े कैदियों में उत्साह बढ़ाने के लिए जेल प्रशासन की ओर से एक पोस्टकार्ड मुहैया कराया जा रहा है। इसके जरिये कैदी अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को अपने मन की बात लिखकर भेज रहे हैं। जेल नंबर एक से शुरू हुई इस मुहिम को अन्य जेलों में भी चलाए जाने की तैयारी प्रशासन कर रहा है।
मुहिम के तहत जेल संख्या एक के छह वार्डों में साक्षरता से जुड़ी कक्षाओं का आयोजन नियमित तौर पर किया जा रहा है। तकरीबन 1200 कैदी इससे जुड़े हैं। यहां अनपढ़ कैदियों को साक्षर करने का जिम्मा शिक्षित कैदियों पर भी है। इस अभियान के तहत कैदियों को हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी भाषा में लिखना और पढ़ना सिखाया जा रहा है। रोजाना एक से डेढ़ घंटे की कक्षाएं लगाई जा रही हैं।
कंप्यूटर से सिखाया जा रहा गणित
जिंदगी में पैसों से जुड़े हिसाब-किताब से रोजाना वास्ता सभी का पड़ता है। कई कैदी ऐसे हैं जिन्हें गिनती या हिसाब-किताब का ज्ञान तक नहीं है। ऐसे कैदियों को टाटा कंसल्टेंसी सर्विस (टीसीएस) की ओर से तैयार एक विशेष सॉफ्टवेयर से व्यवहारिक तरीके से गणित का ज्ञान दिया जा रहा है। इसके जरिए कैदी जोड़, घटाव, गुणा व भाग सीख रहे हैं। कैदियों को गृहकार्य भी दिया जाता है ताकि कक्षा के बाहर भी उनका विभिन्न विषयों में मन लगा रहे।
अंगूठा लगाने की मजबूरी से मिली निजात
कैदियों का कहना है कि पढ़ाई शुरू करने के बाद उनमें आत्मविश्वास का संचार हुआ है। अब जेल से बाहर निकलने के बाद उनके पास रोजगार के कई विकल्प होंगे। पहले निरक्षर होने के कारण उन्हें नौकरी मिलने में काफी कठिनाई होती थी। लेकिन अब वे पढ़े-लिखे लोगों की तरह ही अपने लिए अच्छे रोजगार की तलाश करेंगे। साथ ही अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर विशेष ध्यान देंगे क्योंकि अब वे इसके महत्व को भलीभांति समझ चुके हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।