निर्भया केस में फांसी की सजा से बचने के लिए चारों के पास ये हैं उपाय
सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के चारों हत्यारों की फांसी की सजा बरकरार रखी। इस मामले में कुल 6 लोग आरोपी थे। इनमें एक नाबालिग है और दूसरे आरोपी राम सिंह ने ...और पढ़ें
नई दिल्ली (जेएनएन)। पूरे देश-दुनिया और व्यवस्था को झकझोर देने वाले निर्भया गैंगरेप मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के चारों हत्यारों की फांसी की सजा बरकरार रखी। इस मामले में कुल 6 लोग आरोपी थे। इनमें एक नाबालिग है और दूसरे आरोपी राम सिंह ने जेल में फांसी लगाकर जान दे दी थी।
कानून के जानकारों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा पाए मुकेश, पवन, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह के पास दो विकल्प हैं। पहला वो अपने वकील के जरिये सु्प्रीम कोर्ट में फांसी की सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर कर सकते हैं। अगर यह याचिका खारिज हो जाती है तो फांसी की सजा से बचने के लिए राष्ट्रपति से गुहार लगा सकते हैं।
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गौरतलब है कि भारतीय संविधान में राष्ट्रपति और राज्यपाल को क्षमादान का अधिकार दिया गया है। संविधान के अनुच्छेद 72 में राष्ट्रपति को किसी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहरा दिए गए किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा करने, अस्थायी.निलंबन करने, कम करने, परिवर्तित करने की निम्नलिखित मामलों में शक्ति प्राप्त है-
(क) सेना न्यायालय द्वारा दिए दंड को,
(ख) संघ की कार्यपालिका शक्ति के विषय से संबंधित विधि के विरुद्ध अपराध में,
(ग) उन सभी मामलों में जिनमें मृत्युदंड दिया गया हो।
चान्गाडू मामले में मद्रास उच्च न्यायालय का निर्णय है कि इस अधिकार का प्रयोग परीक्षण के पूर्व, परीक्षण के दौरान या परीक्षण के बाद भी किया जा सकता है।

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