तलाक बगैर हुई दूसरी शादी को अदालत ने नहीं माना वैध
संदीप गुप्ता, नई दिल्ली तलाक की औपचारिकताओं को पूरा किए बगैर दूसरी शादी को दिल्ली की एक अदालत ने व
संदीप गुप्ता, नई दिल्ली
तलाक की औपचारिकताओं को पूरा किए बगैर दूसरी शादी को दिल्ली की एक अदालत ने वैध विवाह मानने से इन्कार कर दिया। पूरे रीति-रिवाज के साथ महिला और पुरुष ने दूसरी शादी की थी और वे करीब पांच साल तक साथ भी रहे, परन्तु अदालत की नजर में शादी अवैध साबित हुई। इस आधार पर अदालत ने महिला द्वारा लगाई गई घरेलू हिंसा की याचिका को भी खारिज कर दिया।
महिला कोर्ट की न्यायाधीश शिवानी चौहान ने स्पष्ट रूप से कहा कि कानून के मुताबिक दूसरी शादी में प्रवेश करने से पूर्व महिला व पुरुष को पहली शादी को कानूनी रूप से खत्म करना अनिवार्य है। उनकी पहली शादी कानूनी रूप से खत्म ही नहीं हुई है तो उन्हें दूसरी शादी करने के लिए योग्य कैसे माना जा सकता है। लिहाजा महिला की घरेलू हिंसा व गुजारा भत्ता मांगने की याचिका को खारिज किया जाता है।
उक्त मामले में महिला और पुरुष पहले से शादीशुदा हैं। 40 वर्षीय सुनीता ने घरेलू हिंसा में महिला का संरक्षण अधिनियम (पीडब्ल्यूडीवी एक्ट) के तहत अदालत में अर्जी लगाई थी। महिला का कहना था कि दूसरा पति मेहर चंद उसकी पिटाई करता था। उसे पति की प्रताड़ना झेलनी पड़ती थी, जिसके चलते वह अलग हो गई। अदालत में महिला की तरफ से अंतरिम गुजारा भत्ता देने की अर्जी भी लगाई गई थी।
महिला ने अदालत को बताया कि वर्ष 1994 में उसकी शादी राम कला नामक शख्स से हुई थी। करीब एक दशक तक वे साथ रहे। ससुराली उसे दहेज के लिए परेशान करते रहे। जब वह रुपये नहीं दे पाई तो उसे घर से निकाल दिया गया था। इसके बाद महिला ने पहले पति को तलाक दिए बगैर ही मेहर चंद से पूरे रीति रिवाज के साथ दूसरी शादी कर ली थी। करीब पांच साल तक साथ रहने के बाद महिला मेहर चंद से भी अलग हो गई। पहली शादी से हुए बच्चे पति के साथ रहते हैं, जबकि दूसरे पति मेहर चंद की पहली पत्नी से हुई बेटी उनके ही साथ रहती थी। महिला की तरफ से दी गई दलीलों में कहा गया कि मेहर चंद भी पहले से शादीशुदा है। दोनों एक दूसरे की पिछली जिंदगी के बारे में अच्छी तरह वाकिफ हैं और सोच समझ कर ही दोनों ने दूसरी शादी की थी। ऐसे में उनकी शादी वैध है और वह गुजारा भत्ता पाने की हकदार भी हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।