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करियर बचाने के लिए अब यह फंडा अपनाना चाहते हैं वीरू

विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) से मध्यक्रम में खेलने की इच्छा जताई है। सलामी बल्लेबाज सहवाग मार्च में हैदराबाद में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए दूसरे टेस्ट के बाद से बाहर चल रहे हैं।

By Edited By: Published: Sun, 15 Sep 2013 09:26 AM (IST)Updated: Sun, 15 Sep 2013 05:19 PM (IST)

क्लेटन मुर्जेलो (मिड-डे), मुंबई। विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) से मध्यक्रम में खेलने की इच्छा जताई है। सलामी बल्लेबाज सहवाग मार्च में हैदराबाद में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए दूसरे टेस्ट के बाद से बाहर चल रहे हैं। सूत्रों ने शनिवार को बताया कि सहवाग ने अपनी प्राथमिकता के बारे में भले ही बीसीसीआइ को सूचित किया हो, लेकिन संदीप पाटिल की अगुआई वाली चयन समिति ने उन्हें वेस्टइंडीज 'ए' के खिलाफ दूसरे और तीसरे चार दिवसीय मैच के लिए भारत 'ए' टीम में बतौर सलामी बल्लेबाज चुना है।

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चेतेश्वर पुजारा की कप्तानी वाली इस टीम में वीरू के साथ पारी का आगाज करने वाले गौतम गंभीर भी शामिल हैं। गंभीर फिलहाल इंग्लिश काउंटी क्रिकेट में एसेक्स की ओर से खेलकर खोयी फॉर्म पाने की कोशिश कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू मैदान पर अपने अंतिम दो टेस्ट मैचों में सहवाग ने महज 27 रन बनाए थे। दिल्ली का यह बल्लेबाज नवंबर में वेस्टइंडीज के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए टीम में वापसी करने के प्रयास में जुटा है।

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सहवाग के पास मध्यक्रम में खेलकर अपना टेस्ट करियर बचाने का यह अंतिम मौका है। क्योंकि चयनकर्ता शिखर धवन और मुरली विजय को नजरअंदाज नहीं कर सकते, जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शीर्ष क्रम में शानदार प्रदर्शन किया था। विजय ने हैदराबाद में सहवाग के साथ पारी की शुरुआत करते हुए 167 रन बनाए थे। इस सिलसिले को जारी रखते हुए उन्होंने मोहाली में 153 रन बनाए। इसी टेस्ट में धवन ने पदार्पण करते हुए 187 रन की धुआंधार पारी खेली थी। टीम प्रबंधन ने दिल्ली में अंतिम टेस्ट में पुजारा को भी मौका दिया, जिसमें धवन चोट के कारण नहीं खेले थे। भारत ने इस टेस्ट सीरीज में ऑस्ट्रेलिया का 4-0 से सफाया किया था।

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अगले माह ं35 साल के होने वाले और 104 टेस्ट मैच खेल चुके सहवाग के लिए मध्यक्रम में खेलना आसान नहीं होगा। मध्यक्रम में जगह बनाने के लिए वैसे ही काफी मारामारी है। अपने पदार्पण टेस्ट की दोनों पारियों में असफल रहने के बावजूद 25 वर्षीय अंजिक्य रहाणे को मध्यक्रम का दावेदार माना जा रहा है। मुंबई के ही रोहित शर्मा का दावा नकारना भी मुश्किल होगा। सुरेश रैना को भी टीम में तब जगह मिली थी, जब धवन बाहर हो गए थे। सहवाग से मध्यक्रम में बल्लेबाजी करवाने की वकालत पूर्व क्रिकेटर और कमेंटेटर संजय मांजरेकर ने भी की है। मांजरेकर ने ईएसपीएन क्रिकइंफो के लिए लेख में लिखा, 'एक टेस्ट बल्लेबाज के तौर पर उनकी हमेशा से इच्छा मध्यक्रम का बल्लेबाज बनने की थी। जब टीम को जरूरत थी तब सहवाग ने सलामी बल्लेबाज के तौर पर जमकर देश की सेवा की। अब उनके करियर के अंत में उनकी ख्वाहिश को पूरा करना कैसा रहेगा?' 2001 में सहवाग ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ब्लोएमफोंटेन टेस्ट में नंबर छह पर बल्लेबाजी करते हुए शतक जड़ा था। पांच टेस्ट बाद कप्तान सौरव गांगुली और कोच जॉन राइट ने उन्हें सलामी बल्लेबाज के तौर पर उतारने का फैसला कर लिया। जिसके बाद उन्हें पलटकर मध्यक्रम में आने का मौका नहीं मिला।

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