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    क्या गांगुली को है भनक, क्या वाकई खत्म है वीरू का करियर?

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    Updated: Tue, 20 Aug 2013 12:41 PM (IST)

    (शिवम् अवस्थी), नई दिल्ली। वीरेंद्र सहवाग..एक ऐसा खिलाड़ी जो फैंस के लिए कई बार टीम की स्थिति और हार-जीत से बढ़कर था। जब वह बल्लेबाजी करने उतरते थे तो कुछ फैंस बस उनकी बल्लेबाजी का लुत्फ उठाने के लिए ही मैच देखा करते थे। एक ऐसा धुरंधर जो कभी अपनी मुस्कान के जरिए विरोधी टीम के दिल जीत लेता था तो कभी उस मुस्कान के बीच लगाए गए धुआंधार शॉट्स से विरोधी गेंदबाजों के होश उड़ाता था। भारत के लिए दोनों प्रमुख फॉर्मेट (वनडे व टेस्ट) में सर्वाधिक स्कोर जड़ने वाला यह दिग्गज

    (शिवम् अवस्थी), नई दिल्ली। वीरेंद्र सहवाग..एक ऐसा खिलाड़ी जो फैंस के लिए कई बार टीम की स्थिति और हार-जीत से बढ़कर था। जब वह बल्लेबाजी करने उतरते थे तो कुछ फैंस बस उनकी बल्लेबाजी का लुत्फ उठाने के लिए ही मैच देखा करते थे। एक ऐसा धुरंधर जो कभी अपनी मुस्कान के जरिए विरोधी टीम के दिल जीत लेता था तो कभी उस मुस्कान के बीच लगाए गए धुआंधार शॉट्स से विरोधी गेंदबाजों के होश उड़ाता था। भारत के लिए दोनों प्रमुख फॉर्मेट (वनडे व टेस्ट) में सर्वाधिक व्यक्तिगत स्कोर जड़ने वाला यह दिग्गज आज गुम सा हो गया है। अब सहवाग के करीबी दोस्तों के रूप में देखे जाने वाले पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने भी कुछ ऐसी बातें की जिनमें कहीं ना कहीं वीरू के संन्यास की बात छुपी नजर आती है, सवाल यही है कि कहां है सहवाग? क्या वाकई उनका करियर खत्म है?

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    पढ़ें: धवन की मौजूदगी ने मुश्किल किए गंभीर-वीरू के रास्ते

    हाल ही में सहवाग के अच्छे दोस्तों में से माने जाने वाले पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने उन कुछ खिलाड़ियों का नाम लिया जिनकी टीम में वापसी जल्द हो सकती है, लेकिन कभी जिस खिलाड़ी के दम पर मैच जीतने वाले और आए दिन उनकी तारीफों के पुल बांधने वाले दादा ने इस फेहरिस्त में सहवाग का नाम तक नहीं लिया। जाहिर है कि दादा और सहवाग का रिश्ता काफी मजबूत माना जाता था, ऐसे में कहीं गांगुली का यह इशारा वाकई इस तरफ तो नहीं कि वीरू का करियर अब समाप्त है? दादा ने अपने बयान में जल्द वापसी करने वालों में गौतम गंभीर, युवराज सिंह और जहीर खान का नाम लिया लेकिन वह सहवाग को इस सूची में शामिल नहीं कर पाए।

    पढ़ें: वेंगसरकर का बयान, वीरू को आराम देना सही फैसला

    डीडीसीए (दिल्ली जिला क्रिकेट संघ) के एक कार्यक्रम के जरिए काफी लंबे समय के बाद सोमवार को वीरेंद्र सहवाग का चेहरा लोगों ने देखा, इससे पहले ना तो वह अभ्यास में जुटते देखे गए थे और ना ही किसी बयान को लेकर चर्चा में थे, लेकिन सहवाग ने यहां पर भी मीडिया के खबरों लिखने के तरीके और युवाओं को प्रोत्साहन देने जैसी बातों के अलावा कुछ नहीं किया और फिर कहीं गुम हो गए। उन्होंने भी अपने क्रिकेट करियर को लेकर कुछ बोलना सही नहीं समझा। खबरें यहां तक है कि काउंटी क्रिकेट टीम एसेक्स के लिए खेलने को तैयार होने और गौतम गंभीर के इंग्लैंड रवाना होने के पीछे भी गौती के करीबी दोस्त और साथी खिलाड़ी सहवाग का ही हाथ है। सूत्रों के मुताबिक एसेक्स टीम ने पहले यह ऑफर वीरू को दिया था लेकिन उन्होंने इसे मना कर दिया और उनको गंभीर को लेने की सलाह दे डाली। क्या यह साफ करता है कि अब वीरू खुद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लौटने के पक्ष में नहीं हैं?

    टेस्ट में एक ही नहीं दो तिहरे शतक जड़ने वाले व वनडे में सर्वाधिक 219 रनों की पारी खेलने वाले वीरेंद्र सहवाग उन खिलाड़ियों में से रहे जिन्होंने देश हो या विदेश, हर पिच पर टीम इंडिया की लाज रखी। उनकी घातक बल्लेबाजी का हवाला आज भी पूर्व क्रिकेटर देते रहते हैं और उन्हें महानतम खिलाड़ियों में गिना भी जाता है। अपनी पिछली नौ टेस्ट पारियों में एक भी अर्धशतक तक ना जड़ना और वनडे की पिछली तकरीबन 11 पारियों में एक भी शतक नहीं जड़ पाना शायद सहवाग के लिए खराब साबित हुआ और चयनकर्ताओं ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया, जिसके बाद दोबारा उनकी वापसी नहीं हो सकी। सहवाग ने अब तक 104 टेस्ट मैचों में 49.34 की शानदार औसत से अब तक 8586 रन बनाए हैं जिसमें 23 शतक शामिल हैं जबकि वनडे में उनके नाम 251 मैचों में 8273 रन शामिल हैं और इस फॉर्मेट में उनके नाम 8273 रन हैं, लेकिन इतने शानदार रिकॉर्ड वाला खिलाड़ी भी अब कहीं गुमनाम माहौल में गुम सा हो गया लगता है। किसी को अंदाजा नहीं कि गंभीर, युवराज और जहीर की तरह ट्रेनिंग करके सहवाग अपनी वापसी का दावा क्यों नहीं ठोंक रहे, क्या उनकी किसी से नाराजगी है या फिर वाकई अब उनका मनोबल टूट चुका है? या यह कहें कि टीम के ओपनिंग ऑर्डर में चल रही युवा खिलाड़ियों की मजबूत होड़ और शिखर धवन का सहवाग के अंदाज में खेलना ही वीरू को भारी पड़ गया और टीम में उनके आने के रास्ते बंद हो गए। अब यह एक बड़ा सवाल बन चुका है कि क्या वीरू मैदान पर लौटेंगे, मैदान पर लौटकर संन्यास लेंगे या फिर बिना मैदान पर लौटे ही क्रिकेट को अलविदा कह देंगे।

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