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    ..वो तीन चौके, और झूम उठी गुलाबी नगरी!

    By Edited By:
    Updated: Mon, 23 Sep 2013 04:21 PM (IST)

    गुलाबी नगरी जयपुर में जब चैंपियंस लीग टी20 2013 के पहले मुकाबले में मुंबई इंडियंस और मेजबान राजस्थान रॉयल्स आमने-सामने उतरे तो खचाखच भरे सवाई मानसिंह स्टेडियम के फैंस की नजरें दो टीमों पर कम और दो खिलाड़ियों पर ज्यादा थीं..सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़। बेशक मैच में ना सचिन का बल्ला चला और ना द्रविड़ का, लेकिन अपने इन

    जयपुर। गुलाबी नगरी जयपुर में जब चैंपियंस लीग टी20 2013 के पहले मुकाबले में मुंबई इंडियंस और मेजबान राजस्थान रॉयल्स आमने-सामने उतरे तो खचाखच भरे सवाई मानसिंह स्टेडियम के फैंस की नजरें दो टीमों पर कम और दो खिलाड़ियों पर ज्यादा थीं..सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़। बेशक मैच में ना सचिन का बल्ला चला और ना द्रविड़ का, लेकिन अपने इन दो दिग्गजों के करियर के इस आखिरी मोड़ को जयपुर वासियों ने जाया नहीं जाने दिया और सभी जमकर झूमे। इस मैच का मुख्य आकर्ष ण रहे सचिन की छोटी सी पारी में लगाए वो तीन चौके, और यह तीन चौके किसी त्योहार से कम नहीं दिखे..

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    स्टेडियम के बाहर से स्टेडियम के अंदर तक, मैच से पहले से मैच के अंत तक..नजारा मानो ऐसा था जैसे दो टीमें नहीं, बल्कि दो खिलाड़ियों का बॉक्सिंग मैच हुआ हो। फैंस को सचिन और द्रविड़ दोनों से बेहतरीन पारियों को उम्मीद थी, फिर चाहे टीम कोई भी जीते, लेकिन ना तो मास्टर ब्लास्टर चले और ना दीवार की नींव मजबूत दिखी। सचिन ने अपनी पारी में 17 गेंदों का सामना करते हुए 15 रन बनाए, लेकिन इस छोटी सी पारी में उनके द्वारा लगाए गए तीन चौके मानों पूरे मैच का आकर्षण रहे। सचिन के इन तीन चौकों पर मैदान का नजारा ऐसा था, मानों विरोधी टीम ऑस्ट्रेलिया या पाकिस्तान हो और मैच विश्व कप का फाइनल हो। सचिन के तीनों ही चौके उनकी बल्लेबाजी और करियर का आइना जैसे ही थे (जैसा कि हमेशा होता है)। पहला चौका फ्रंट फुट पर आते हुए पोइंट फील्डर के ऊपर से निकला, ठीक एक गेंद बाद दूसरा चौका उससे भी बेहतर था और इस बार बैकफुट पर आते हुए बेहतरीन टाइमिंग के जरिए ऑफ साइड पर गैप निकाला व आखिरी और तीसरा चौका भी टाइमिंग का एक बेहतरीन नमूना था, इस बार भी निशाना पोइंट दिशा पर ही था और बल्ले का मुंह खोलते हुए सचिन ने एक बार फिर एक करारा चौका जड़ा।

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    आठवें ओवर की दूसरी गेंद पर सचिन बाहरी किनारा लेने पर मजबूर हुए और रोजर बिन्नी की गेंद को कीपर सैमसन के हाथों में दे डाला, यूं तो स्टेडियम विरोधी टीम का घर था और घरेलू फैंस भी राजस्थान रॉयल्स के ही थे, लेकिन इस एक विकेट पर स्टेडियम में ऐसा सन्नाटा पसरा मानों टीम इंडिया विश्व कप फाइनल हार गई हो। हालांकि सचिन की इस छोटी सी पारी से यह जरूर साबित हो गया कि बेशक वह अपने करियर की अंत की तरफ हों और फॉर्म भी कुछ खास ना हो, लेकिन उनकी शख्सियत हमेशा खास थी और रहेगी। दूसरी तरफ राहुल द्रविड़ तो महज चार गेंदें ही खेल सके और एक रन बनाकर दूसरे ही ओवर में पवेलियन लौट गए, हालांकि अंत में जीत उनकी मेजबान टीम को ही मिली।

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