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    क्या याद है वो दिन, वो लम्हा, जिसने हमें दिया कप्तानों का कप्तान!

    By Edited By:
    Updated: Tue, 24 Sep 2013 05:12 PM (IST)

    'कुछ पल, कुछ लम्हे ऐसे होते हैं जो सदा के लिए ठहर से जाते हैं, वक्त हवाओं का रुख तो बदल देता है लेकिन उन हवाओं को रचने वाले सदा के लिए हस्ती बन जाते ह ...और पढ़ें

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    (शिवम् अवस्थी), नई दिल्ली। 'कुछ पल, कुछ लम्हे ऐसे होते हैं जो सदा के लिए ठहर से जाते हैं, वक्त हवाओं का रुख तो बदल देता है लेकिन उन हवाओं को रचने वाले सदा के लिए हस्ती बन जाते हैं।'..साल 2007 का वह आज ही का दिन था जिसने भारतीय क्रिकेट को एक नई उड़ान दी थी। एक ऐसी उड़ान जिसके जरिए एक अद्भुत कप्तान मिला, कुछ शानदार खिलाड़ी मिले और मिला एक ऐसा मनोबल देने वाला पल जिसका जज्बा और असर आज भी जारी है।

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    24 सितंबर, 2007 की शाम हर भारतीय क्रिकेट फैन की नजर अपने टीवी सेट पर थी। देश की एक युवा टीम जोहानिसबर्ग (दक्षिण अफ्रीका) में एक युवा कप्तान (महेंद्र सिंह धौनी) की अगुआई में पहले टी-20 विश्व कप के फाइनल तक पहुंचने में सफल रही थी और इस बार मुकाबला था चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से। इस मैच से पहले भारत दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी धुरंधर टीमों को रौंदकर आया था इसलिए उम्मीदें सातवें आसमान पर थीं। भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और 5 विकेट के नुकसान पर 20 ओवरों में 157 रन बनाए। भारतीय पारी में गौतम गंभीर ने सर्वाधिक 75 रन जड़े।

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    जाहिर है कि लक्ष्य इतना बड़ा नहीं था और पाक टीम के पास एक जबरदस्त बल्लेबाजी क्रम भी मौजूद था, भारत ने 77 रन पर पाकिस्तान के 6 विकेट गिरा दिए थे लेकिन उसके बाद मिस्बाह-उल-हक ने ऐसा मोर्चा संभाला कि भारतीय गेंदबाज हिल से गए। मिस्बाह ने शानदार बल्लेबाजी की और मैच को अंतिम मोड़ तक पहुंचाया, लेकिन भारतीय कप्तान धौनी के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था, शायद उसी प्रकार के फैसलों की फसल आज तक भारतीय क्रिकेट को संपन्न कर रही है। धौनी ने आखिरी ओवर सभी को चौंकाते हुए कम अनुभवी गेंदबाज जोगिंदर सिंह को दिया (जबकि भज्जी का एक ओवर बाकी था)। पाक के 9 विकेट गिर चुके थे और उनको छह गेंदों पर 13 रनों की जरूरत थी। मिस्बाह पिच पर बड़ा खतरा थे। पहली गेंद वाइड गई, दूसरी गेंद पर छक्का जड़कर मिस्बाह ने सभी को सन्न कर दिया लेकिन तीसरी गेंद पर धौनी का सिक्का काम कर गया और शॉर्ट फाइन लेग के ऊपर से एक आत्घाती शॉट खेलते हुए उन्होंने वहां खड़े श्रीसंत को आसान कैच थमा दिया..भारत पहला टी-20 चैंपियन बन चुका था और उसके बाद सब दुनिया के सामने था, उसी कप्तान ने भारत को पहली बार टेस्ट में शीर्ष पायदान हासिल कराया, उसी कप्तान की अगुआई में हमने 28 साल बाद वनडे विश्व कप जीता और उसी की अगुआई में आज हम वनडे रैंकिंग में शीर्ष पर हैं।

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